सपनों की उड़ान: टोहाना की विजयलक्ष्मी विश्नोई ने UPSC में रच दिया इतिहास

बिश्नोई समाचार हरियाणा के फतेहाबाद जिले के एक छोटे से गांव टोहाना से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC में 233वीं रैंक हासिल करने वाली विजयलक्ष्मी विश्नोई की कहानी संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास की मिसाल है। तीसरे प्रयास में मिली इस सफलता ने न केवल उनके सपनों को पंख दिए हैं, बल्कि उनके जैसे लाखों ग्रामीण युवाओं को प्रेरणा भी दी है।

गांव की मिट्टी से निकलकर चंडीगढ़ तक का सफर

विजयलक्ष्मी विश्नोई का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता श्री प्रेम कुमार लोहमरोड़ किसान हैं और माता एक गृहिणी हैं। चार बहनों और एक भाई में विजयलक्ष्मी सबसे छोटी हैं। सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश के बावजूद विजयलक्ष्मी की सोच बचपन से ही बड़ी थी।

वो बताती हैं, "स्कूल के समय मेरे अध्यापकों ने मुझसे कहा कि तुम्हारे अंदर UPSC पास करने की काबिलियत है। तभी से यह सपना बन गया।" इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने स्नातक के दौरान ही ऑनलाइन माध्यम से तैयारी शुरू कर दी। पढ़ाई का कोई मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद उनका आत्मविश्वास डगमगाया नहीं।

तीसरे प्रयास में सफलता, ऑनलाइन पढ़ाई बनी सहारा

UPSC की तैयारी में कई बार असफलता का सामना करना पड़ता है, लेकिन विजयलक्ष्मी ने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में उन्होंने 233वीं रैंक प्राप्त की। उनका मानना है कि कठिन समय में भी ऑनलाइन क्लासेस और आत्म-अनुशासन उनके लिए वरदान साबित हुए।

"जब परिवार का पूरा सहयोग हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता," विजयलक्ष्मी कहती हैं। उन्होंने आगे बताया कि परिवार ने बेटियों और बेटे में कभी फर्क नहीं किया। उनके पिता ने सभी बच्चों को समान अवसर दिए, जिसका नतीजा आज सबके सामने है।

सपनों से आगे की सोच

विजयलक्ष्मी की यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि उस सोच की जीत है जो लड़कियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में विश्वास रखती है। उनका लक्ष्य अब एक जिम्मेदार और संवेदनशील प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है।

वो ग्रामीण शिक्षा, महिलाओं के सशक्तिकरण और सरकारी योजनाओं की ज़मीनी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन पर काम करना चाहती हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं।

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