गांव लीलस के बिश्नोई परिवार ने मनाया जश्न
हरियाणा बिश्नोई समाचार हिसार 4 जनवरी (रामनिवास बेनीवाल) केक काटकर जन्मदिन मनाने की शुरुआत यूनान से हुई थी।
लेकिन उस समय परिवार की पीढ़ियों का इकट्ठा न होकर जशन मना कर नहीं बल्कि बच्चों द्वारा तेज शोर मचाकर और केक काटकर जन्मदिन मनाया जाता था। धीरे-धीरे यह प्रथा विभिन्न देशों में आई। लेकिन भिवानी जिले के बिश्नोई बाहुल्य गांव लीलस की 100 बसंत देख चुकी सबसे बुजुर्ग महिला मनोहरी देवी बिश्नोई ने अपनी पांच पीढियों के 73 परिवारजनों संग केक काटकर 100 वाँ जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया। खीचड़ परिवार ने समाज के समक्ष एकता की मिसाल को पेश किया। आज समाज में बढ़ता परिवार और बंटता घरबार जुड़ने रिश्ते छुटते परिवार आम बात हो गई है। लेकिन मनोहरी देवी ने अपने 100वें जन्मदिन पर संस्कृति और सामाजिक ढांचे को बचाए रखने के लिए प्रेरणा लेने की सीख दी है।
सांस्कृतिक नृत्य और मंगल गीत गाकर मनाया जन्मदिन
इस दौरान परिवार की महिलाएं और बेटियों द्वारा दादी के जन्मदिन को मंगल गीत और गानों पर नृत्य कर खुशी का इजहार किया ।
खीचड़ परिवार में 73 लोग : सौ साल मनोहरी देवी के 6 पुत्र और 6 पुत्रियां है. परिवार में कुल 73 लोग है. मनोहरी देवी के दिवंगत पति बुध राम खिचड़ भारतीय सेना में अपनी सेवाए दे चुके थे. इनके 6 पुत्र मनफूल खिचड़, रामस्वरूप, ओमप्रकाश, रामकुमार, संतलाल, सतबीर हुए जबकि छह पुत्रियां सरस्वती, मैनावती, बीमरा देवी, शारदा देवी, जैटल व सुखी देवी हुई. परिवार में 19 पौत्र पौत्रियां है. साथ ही 21 पड़पोते और पड़पोतियां हैं।
देसी व्यंजनों को देते हैं महत्व: इस मौके पर मनोहरी देवी की पांच पीढ़ियां एक जगह इकट्ठी हुई और सभी ने उनके बर्थडे का जश्न मनाया. दादी ने अपने हाथों से अपने जन्मदिन का केक काटा. दादी मनोहरी देवी संदेश देती है कि सभी को परिवार में मिल जुलकर रहना चाहिए। मनोहरी देवी बिश्नोई के पोते मोहन बिश्नोई ने बताया कि परिवार के सदस्य फास्ट फूड का सेवन नहीं करके देशी खाने को तवज्जो देते हैं।
बगैर चश्मा सुई में धागा डाल लेती है मनोहरी देवी : मनोहरी देवी के पोते मोहन विश्नोई ने बताया कि दादी खीर, हलवा, दाल रोटी, बाजरे व गेहूं की रोटी का ही सेवन करती है. उनका जीवन हमेशा से साधा रहा है. उन्होंने आज तक फास्ट फूड का सेवन नहीं किया. बाजार के खाने से वो दूर रही है. उनकी उम्र का उनके जीवन पर कोई असर नहीं पड़ा. वो आज भी उसी तरह चलती है, जैसे जवानी में चलती थी. उनकी आंखे आज भी इतनी स्वस्थ है कि वो सौ साल की आयु में भी सुई में धागा डाल लेती है. उनके दांत आज भी सही सलामत है. अभी किसी भी प्रकार का रोग नहीं है.
एक टिप्पणी भेजें