राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर राजस्थान मे जोधपुर जिले के पास पेड़ों के लिए 363 शहीदों की शहादत की दाग स्थली छोटा सा गाव गुड़ा बिश्नोईईया में जन्मे एक सामान्य बालक जब दूध बेचता, चारा बेचता हुआ असामान्य सफर पर सामान्य आदमी की यात्रा को सफल इन्सां की यात्रा में तब्दील कर देता है। दूध वाला देवा बुड़िया कब कंपनी का मालिक देवेंद्र जी बूड़िया और कब बिश्नोई समाज में नई लकीर खींचने वाला अखिल भारतीय विश्नोई महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाता है, पता ही नही चला।
किसी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनका कार्य अमिट स्याही से लिखे गए चुनाव आयोग के इतिहास में टी एन शेषन के तुल्य है। श्री बूड़िया ने अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के रुप में दायित्व निभाते हुए इस पद को बहुत गरिमामय बना दिया, वही उन्होंने समराथल धोरे , मुकाम निज मंदिर, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अमृता देवी उद्यान हेतु 156 करोड़ की भूमि आवंटन , दुबई में विश्नोई समाज का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आदि अनगिनत कार्य चंद समय की अध्यक्षता में कर के अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया।
यूपीएससी सिविल सेवा हेतु दिल्ली में छात्रवास ठहराव, जयपुर में 2000 छात्र छात्राओं हेतु एज्युकेशन हब जैसे रचनाकर्म और सोच के सैकड़ों प्रेरणादायी कार्य के उनके प्रति युवाओं में उल्लास झलकता है यही कारण है कि विश्नोई समाज सहित 36कोम के जनमानस की धड़कनों की थाह लेने में बूड़ियाजी समर्थ शख्स है।
मेगनेटिग पर्सनलिटी से देश ही नहीं विदेशों तक के लोगो को बनाया अपना
दबंग राजनेता रामसिंह बिश्नोई जैसे कई बड़े नेताओ को उनके अनगिनत उपकारों के लिए नम आंखों से स्मरण करना वे कभी नहीं भूलते, इस तरह आदर्श के प्रति निष्ठा रखना बुड़िया जी को बहुत सीधी सादी और प्रेममयी, मोह और सम्मोहन जगाने वाली खूबसूरत जिंदगी का राही बनाती है, और यहीं कारण है कि वे कुलदीप बिश्नोई, अभय चौटाला, फारुक अब्दुल्ला, शिवराज सिंह चौहान, भगवंतमान, विवेक ओबेरॉय, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल (कानून मंत्री), अमेठी के राजपरिवार, योगी आदित्यनाथ के परिजन तक का विश्वास जीतना और उनके संबंधों को संबंधों की तरह जीने वाले कनिष्ठ सहयात्री साबित करते हैं। यूएसए के राष्ट्रपति ट्रंप के पुत्र से मित्रता और भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीश धनकड़ के द्वारा यह कहना कि बूड़ियाजी में कोई मैग्नेट है हर आदमी इनके चिपक जाता है, ये भाव ही सबको स्तब्ध करते है।
जीवन के संघर्ष भरे पल का सफर में भी नही हार मानी
1 दूधवाला से जिंदगी को शुरु करने वालें देवेंद्र बिश्नाई का जन्म गुढ़ा बिश्नोइयां निवासी किसान हरिराम बिश्नोई व गवरी देवी के परिवार में 15 अगस्त 1966 को हुआ।
2 चार भाई व तीन बहिनों में छठे नम्बर के है देवेंद्र बुड़िया जी
3 शिक्षा में 10वी पास और ग्याहरवीं अनुतीर्ण।
4 वर्ष 1988 में बूड़िया ने रातानाडा में डेयरी फॉर्म खोलकर दूध का धंधा शुरू किया ।
5 वर्ष 1988 में ही अकाल के दौरान राइकाबाग में चारे का व्यवसाय किया ।
6 1988 में ही ट्रक खरीद कर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में कदम।
7 इंजीनियर मित्र के साथ वर्ष 1999 में ओपी एंड देवेंद्र कंस्ट्रक्शन कम्पनी स्थापना
8 , 2001 में स्वयं की देवेंद्र कन्स्ट्रक्शन कम्पनी(DCC ) की स्थापना,
9 सन 2015 में अखिल भारतीय बिश्नाई महासभा में प्रतिनिधि , वर्ष 2016 से 2020 तक महासभा के राष्ट्रीय सचिव तथा 2020 से अक्टूबर 2021 तक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष औरअक्टूबर 2021से वर्तमान में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वाहन।
दलित और दीन को देव मानने की परीक्षा देते रहते है देवेंद्र बुड़िया
निर्विवाद जीवन तो इनका हिस्सा नही रहा। हरियाणा में एक बड़े कार्यक्रम में मंच से बुड़िया जी ने बड़े आत्मविश्वास से समरसता का दर्द बयां कर दिया कि आज भी दलित दोयम दर्जे की जिंदगी जीने को मजबूर है उन्हे समानता मुक्क्कम नही है, उन्होने कहा कि “विवाह शादी में दलितों के लिए लगने वाला अलग टेंट बंद हो, अब एक टेंट में आने का समय आ गया।”इतना कहते ही इंसान इंसान में भेद करने वालें पाखंडियों के हाथ पांव फूल गए, उनकी भौंहे खंच गई, सबने बूड़िया जी की जोरदार खिंचाई की, जब तह तक गए तो पता लगा कि दलित प्रेम बुड़िया जी के भाषण का दल्ला नही है अपितु दिल का राग है, उन्होने निजी आय से अपने गांव गुड़ा विश्नोईयान में मेघवाल समाज के लिए सार्वजनिक सभा भवन बना चुके है और सरगरा समाज के लिए बन रहा है। इसी पावन संकल्प के कारण वे विवाद से विचलित नही हुए, उन्होंने कहा कि जम्भेश्वर भगवान जातिवाद और भेदभाव से कोसो दूर थे और वे शुद्धिकरण शुद्धता, और स्वच्छता पर विश्वास जोर देते थे जाम्भो जी की मान्यता थी कि उतम कुल में उत्पन्न होने से उत्तम नहीं होता है आदमी अपने कर्मों से उत्तम और अशुद्ध बनता है इस दर्शन ने विश्नोई समाज को पर्यावरण के साथ-साथ सामाजिक समरसता और समानता के लिए अद्वितीय योगदान के रूप में अंकित करवाने में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्य श्रेष्ठ नहीं अपितु सर्वश्रेष्ठ रहा। इस प्रकार शून्य से शिखर की यात्रा पर निकले बूडियाजी के जहन में हर बाधा का सामना करते समय पलायन का विचार नही आया। अपने इर्द गिर्द पसरे संकट को झेला और खेला,। आरोप प्रत्यारोप का प्रत्युत्तर अपनें काम में सौ फीसदी की ईमानदारी दिखाकर दिया। दिखावे से दूर रहकर निरंतर उन्नति के पथ पर न थकने वालें राहगीर की भांति चरैवेति चरैवेति को साध रहे हैं।
जरूरत मंदों की जुबान पर हमेशा जुग जुग जिओ दानवीर की दुवाओ को पाने वाले
कवियों और शायरों को इस दुनियां से शिकायत रही है कि यूं तो जीने के कई रास्ते आसान हो गए है, पर अभी भी आदमी को इन्सां होना मयस्कर नही हुआ। दुनिया की सराय में रात काटता आदमी सुबह होते ही आधा अधूरा लगता है । इंसान होने के लिए इस असीम संसार में अपनी आरजू और अरमानों की सीमाएं बांधनी पड़ती है , परन्तु इसमें जीने का तजुर्बा हासिल करके देवेंद्र जी बूड़िया जैसे विरले आदमी जीवन के मर्म को साध लेते हैं। और इन्सा बन जाते है।
समाज सेवा का मिला मौका तो जुट गए दिल जान से
ठेकेदार बूड़िया को विश्नोई महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया तो लोगो ने अचरज किया, कि सरंक्षक कुलदीप जी ने यह क्या कर दिया। क्योंकि इस पद अक्सर राजनेता ही मिलते है। लेकिन साधारण आदमी से उभरे देवेन्द्र जी ने पीछे मुड़कर नही देखा, उन्होने अध्यक्ष के रुप में बेहतर काम किया और जब उन्हें डायमंड कहते है तो वे खुद की बजाय कुलदीप जी पक्के जौहरी कहते है, वे अपनी इस समाज सेवा यात्रा का अखंड सेतु कुलदीप जी को मानते हैं, वे सहज भाव में अक्सर कहते है, वे मेरे मास्टर है और मैं मेरा अपना समाज के प्रति कार्य का होमवर्क उन्हे चैक करवाता हूं। दुनियादारी में दोनो के प्रेम को राम लक्ष्मण की उपमा देते हैं
अमीर होते हुए भी सरल सहज भाव में रहना,गो सेवा और भामाशाह के रुप में नेक कार्य उन्हे प्रेरक व्यक्तित्व का पर्याय बनाता है, हर दिल में बूड़िया जी के जन्म दिन पर अनंत अशेष शुभकामनाएं पल्लवित पुष्पित हो रही है और हर मुखारविंद का घोष है जुग जुग जिओ बूड़िया जी ।
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