मध्यप्रदेश में कुछ ऐसे किए पर्यावरण टीम ने नवाचार
- 20 हजार से अधिक मेहमानों को पलाश के पतों से बनी पत्तल में भोजन परोसा।
- पर्यावरण संरक्षण प्रदर्शनी लगाकर ताम्बे के लोटों से जलपान करवाया।
- पूरे महोत्सव के दौरान गले में तख्तियां लगाए इन पर्यावरण सेवकों ने झूठन नहीं छोड़ने की अपील की।
500 से ज्यादा आयोजन में हो चुके हैं शामिल
शिक्षक ओमप्रकाश और उनकी टीम सिर्फ जोधपुर ही नहीं बल्कि पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, पाली, बाड़मेर, नागौर, जयपुर, अजमेर जिले में जाकर कई समारोह में अपनी पर्यावरण स्टॉल लगा चुके हैं। करीब 10 साल में यह टीम 500 से ज्यादा कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है हर कार्यक्रम में 5 से 10 पर्यावरण टीम के लोग होते हैं शामिल। अब तक की अपनी सैलरी से डेढ़ लाख से ज्यादा खर्च व 20 लाख के करीब लोगों को जागरूक कर चुके हैं।
एक नजर में पर्यावरण सेवकों की टीम के काम
-10 साल से ज्यादा समय से कर रहे हैं सेवा।
- 500 से ज्यादा कार्यक्रमों में जाकर अब तक कर लगा चुके हैं पर्यावरण स्टॉल।
-20 लाख से ज्यादा लोगों अब तक सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ संदेश दे चुके हैं।
-20 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं इस टीम में।
-5 लाख से ज्यादा लोगों का झूठन बचा चुके है।
-दो लाख से ज्यादा लोगों को नशे की मनुहार से मुक्त करवा चुके।
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