गोदारा ने किया बिश्नोई जीवन शैली व पर्यावरण सरंक्षण का शोधपत्र प्रस्तुत
बिश्नोई जीवन शैली व पर्यावरण सरंक्षण
राजस्थान बिश्नोई समाचार दिल्ली धोरीमना - जब लोग ग्लोबल वार्मिंग का ग और पर्यावरण का प नहीं जानते थे तब विश्नोई समाज खेजड़ी के वृक्षों के रक्षार्थ बहादुर अमृतादेवी विश्नोई सहित 363 नर नारियों के बलिदान को समर्पित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन दुबई में विष्णु नगर राणासर कलां निवासी गंगाराम गोदारा ने अपना प्रतिनिधि शोध पत्र प्रस्तुत किया। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा भारत एवं जांभाणी साहित्य अकादमी भारत के संयुक्त तत्वाधान में संयुक्त अरब अमीरात(यू. ए. ई.) के शहर दुबई में आयोजित इस सम्मेलन में दूसरे दिन छठे टेक्निकल सत्र में बोलते हुए गोदारा ने कहा कि बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जाम्भोजी मध्यकाल के महान विभूति थे। वे स्वयं स्वयंभू और भगवान विष्णु के अवतार थे। गुरु जाम्भोजी के उपदेशों का पालन करते हुए प्रकृति के अनुकूल अपनी जीवन शैली को पर्यावरण धर्मी जीवदया धर्मी और बलिदानी इतिहास परम्परा को संजोए हुए है। भौतिकता के कुचक्र में फंसे आज के मानव के लिए बिश्नोई जीवन शैली एक प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि बिश्नोई समाज के लोग शुद्ध शाकाहारी होते है। उनके रहन-सहन पहनावें पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जहां कही भी देर सवेर बंदूक से निकली गोली की आवाज आती है वहां सबसे पहले पहुचने वाला बिश्नोई होता है,वे खुद अपने प्राणों की परवाह किए बिना वन्यजीवों व पेड़ों के लिए बलिदान दे देते है। उन्होंने पेड़ो व वन्यजीवों के लिए शहीद हुए उन महान बलिदानियों के जीवन पर प्रकाश डाला व श्रद्धा सुमन अर्पित किए। वर्तमान में पर्यावरण सरंक्षण के लिए कार्य कर रही संस्थाओं की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि विश्नोई महासभा,बिश्नोई टाइगर फोर्स व हाल ही में ग्लोबल ग्रीन 363 ऑर्गेनाइजेशन के सदस्यों ने अफ्रीकी देश केन्या में भी मिशन खेजड़ली का प्रचार प्रसार कर पौधरोपण किया। पर्यावरण सरंक्षण के लिए बिश्नोई समाज के दर्जनों लोग अपने अपने क्षेत्र में अपने अपने ढंग से कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि गैर सैनिक दो बिश्नोइयों को शौर्य चक्र पुरुस्कार से भारत सरकार ने नवाजा है। ग्लोबल ग्रीन 363 ऑर्गेनाइजेशन के जिला प्रचारमंत्री इंजीनियर अशोक विश्नोई ने बताया कि गंगाराम गोदारा राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे है उनका विषय राजस्थान में बिश्नोई समाज की राजनीतिक भूमिका है। गोदारा जाम्भाणी साहित्य अकादमी के आजीवन सदस्य व गुजरात के वापी शहर में उधमी है। उनकी बड़ी बेटी श्रीमती उषा गोदारा भी बिश्नोई समाज की समाज शास्त्रीय सब्जेक्ट पर पीएचडी कर रही है।
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