दुबई में सम्मान:खेजड़ी बचाने में बलिदान देने वाले 363 जनों की याद में 3.50 लाख स्क्वायर फीट में पौधे लगाएंगे

बिश्नोई समाज और दुबई सरकार का अभियान, मां अमृतादेवी पार्क के लिए शारजाह में फ्री भूमि मिलेगी
दिल्ली बिश्नोई समाचार कम पानी और अधिक गर्मी में भी खुद को जिंदा रखने की ताकत रखने वाले राजस्थान-तेलंगाना के राज्य वृक्ष खेजड़ी और यूएई के राष्ट्रीय वृक्ष ‘घाफ’ यानी खेजड़ी को बचाने के लिए 363 जनों ने अपने प्राण न्योछावर किए थे। अब यूएई सरकार बलिदान वालों के सम्मान और पर्यावरण का संदेश देने के लिए शारजाह में साढ़े तीन लाख स्क्वायर फीट में पौधे लगाएगी। फिलहाल, इसकी शुरुआत 363 पौधे लगाकर की गई है। इस मुहिम की शुरुआत बिश्नोई समाज के साथ शारजाह प्रशासन की ओर से शेख माजी अली मुल्ला करेंगे। इसके अलावा मां अमृता देवी बिश्नोई के नाम पर पार्क बनाने के लिए भी जमीन आवंटन की प्रक्रिया भी शुरू होगी।

वहां और यहां का कल्चर समान
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया का कहना है कि दुबई और राजस्थान में गर्मी एक बराबर ही है। दुबई विश्व स्तर का सेंटर बन चुका है। ऐसे में यहां अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, जांभाणी साहित्य अकादमी और गुम्बुक की ओर से कराए गए कार्यक्रम में देशभर के 550 पर्यावरणप्रेमी मौजूद आए। दुबई प्रशासन इस पौधरोपण के लिए जमीन देगा और इनकी देखभाल में भी सहयोग करेगा। पर्यावरणविद ओम लोल ने बताया दुबई में मां अमृतादेवी के नाम से पार्क बनाया जाना गर्व की बात है।

पीपल और शमी की टहनियों को रगड़कर आग पैदा की गई थी
ऋग्वेद के अनुसार शमी के पेड़ में आग पैदा करने कि क्षमता होती है और ऋग्वेद की एक कथा के अनुसार आदिम काल में पहली बार पूर्वजों ने शमी और पीपल की टहनियों को रगड़ कर आग पैदा की थी। इसे अरणी मंथन कहा जाता है।

ओबेरॉय बोले- मैं आज से बिश्नोई
अभिनेता सलमान खान के साथ विवादों में आए अभिनेता विवेक ऑबेरॉय ने इस मौके पर कहा- आज से ‘मैं बिश्नोई हूं।’
खेजड़ी को कहा क्या कहते हैं : शमी को राजस्थान में खेजड़ी, गुजरात में खेजड़ों, हरियाणा में जांटी, पंजाब में जंड, यूपी में छोंकरा, तेलंगाना में जमी चेतु, अरबी में घाफ कहा जाता है।

पांडवों ने खेजड़ी में छुपाए थे अस्त्र
पांडवों ने अज्ञातवास में अस्त्र खेजड़ी के पेड़ में छुपाए थे। कौरवों से युद्ध से पहले पांडवों ने शमी की पूजा की थी। मैसूर में विजयादशमी पर शमी की पूजा की जाती है। भगवान राम का प्रिय वृक्ष शमी था। लंका पर आक्रमण से पहले शमी की पूजा की थी। कवि कालिदास ने शमी के वृक्ष के नीचे बैठ कर तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी।

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