महज एक बरस की प्रैक्टिस में नागौर की बिश्नोई बच्ची ने जीत लिया साइकिलिंग में गोल्ड

Determination: साइकिलिंग करते वक्त एक बार रितिका का एक्सीडेंट हुआ. डॉक्टर ने नेशनल साइकिलिंग में भाग लेने से रोक दिया. लेकिन रितिका में मेडल जीतने की चाह इस कदर बलवती थी कि उन्होंने जमकर मेहनत की. अपनी चोट जल्द दुरुस्त करने की हरसंभव कोशिश की. और सब ठीक होने के बाद रेस में हिस्सा लिया. 

राजस्थान बिश्नोई समाचार पत्रकार कृष्ण कुमार नागौर. मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे. जी हां, इसी कहावत को चरितार्थ करती है नागौर की एक बेटी की कहानी, जिसने महज 16 साल की उम्र में गोल्ड मेडल जीत लिया. नागौर के मेड़ता तहसील के जारोड़ा गांव की रहनेवाली रितिका बिश्नोई ने बंगलुरु में हाल में हुई नेशनल साइकिलिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने 30 किलोमीटर लंबी रेस मात्र 20 मिनट में पूरी कर दी और इस स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर जिले के साथ-साथ प्रदेश का नाम भी रोशन किया.

रितिका बिश्नोई नागौर के मेड़ता तहसील के छोटे से गांव जारोड़ा की रहनेवाली हैं. इनके पिता का नाम रामरत्न बिश्नोई है. रितिका बिश्नोई ने नेशनल साइकिलिंग में 20 किलोमीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीता है. वह वर्तमान समय में बीकानेर जिले में रहती हैं. एक बार साइकिलिंग करते वक्त रितिका का एक्सीडेंट हुआ. डॉक्टर ने नेशनल साइकिलिंग में भाग लेने से रोक दिया. लेकिन रितिका में मेडल जीतने की चाह इस कदर बलवती थी कि उन्होंने जमकर मेहनत की. अपनी चोट जल्द दुरुस्त करने की हरसंभव कोशिश की. और सब ठीक होने के बाद रेस में हिस्सा लिया।

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