विशाल शोभायात्रा के साथ जालबेरी में जालबेरी में सात दिवसीय हरिकथा का भव्य शुभारंभ
पत्रकार श्रीराम ढाका
राजस्थान बिश्नोई समाचार बाङमेर धोरीमन्ना निकटवर्ती जालबेरी में भगवान जंभेश्वर मंदिर पर सात दिवसीय हरिकथा का भव्य शुभारंभ हुआ। आचार्य सन्त डॉ गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री का तिलक मोली व माल्यार्पण द्वारा स्वागत एवं सत्कार किया गया कथा के व्यासपीठ से बोलते हुए बिश्नोई समाज के युवा विद्वान आचार्य डॉ गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री ने कहा कि इस जीवन में अगर मोक्ष एवं सुख पाना है तो अपना नाता भगवान से जोड़ना होगा अगर भगवान से नाता जुड़ गया तो उनका इस संसार में जन्म लेना ही सफल माना जाता है। इस भवसागर में से पार होने के लिए भगवान जांभोजी ने केवल एक संध्या मंत्र का जाप करने के लिए कहा था। संध्या का अर्थ होता है मिलन जब दिन रात आपस में मिलते हैं तो उनका मिलन परमपिता परमात्मा भगवान जाम्भोजी से होता है। उन्होंने कहा कि जीवन में अगर आगे बढ़ना है।
तो अपने गुरु को पहचानो भगवान जांभोजी 7 वर्ष तक मौन रहे, जब उन्होंने अपने मुख से पहला शब्द उच्चारण किया तो गुरू चिन्हो गुरु चिन्ह पुरोहित गुणधर्म बखानी अर्थात हे पुरोहित तुम परमात्मा की गुरु की पहचान कर जिसने गुरु की पहचान कर ले वह इस भवसागर से पार है गुरु के बिना जीवन में कोई रास्ता नहीं बता सकता। उन्होंने कहा की हरिकथा से भक्ति का वातावरण तैयार होता है जब भक्ति का वातावरण का निर्माण होता है तो व्यक्ति के मन की वृत्तियां भी बदल जाती है। हरिकथा प्रारम्भ होने से निकटतम का पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया कई स्वयं सेवकों ने बढ़-चढ़कर इस पुण्यार्थ कार्य मे अपनी सेवाएं दी। कथा से पूर्व विशाल शोभायात्रा निकाली गई जिसमे मोटरसाइकिल व गाड़ियों में सवार भक्तो ने भगवान जांभोजी के जयकारों से क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया इस अवसर पर डॉ बिष्णुराम बिश्नोई बीसीएमएचओ शिव, श्रवण कुमार मांजू, ओमप्रकाश ढाका, रामरख गोदारा, सुखराम ढाका, पप्सा जानी, सुखराम ढाका, जुगताराम कड़वासरा, श्रवण कड़वासरा सहित आसपास के गांवों से सेकडो की संख्या में भक्तो ने भाग लेकर कथा श्रवण किया सहित दर्जनों गांवों से हरिकथा में सैकड़ों भक्तों ने उपस्थित रहकर कथा का श्रवण किया।
एक टिप्पणी भेजें