दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ रद्द कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटेन मजिस्ट्रेट अनुराग ठाकुर की अदालत ने कुलदीप बिश्नोई को दो करोड़ रुपये की एफडीआर अदालत में जमा करवाने को कहा। गत 7 नवंबर के आदेश में अदालत ने उन्हें यह अंडरटेकिंग देने को भी कहा कि वह विदेशी संपत्ति को नष्ट नहीं करेंगे और विदेश जाने के 30 दिन पहले कोर्ट को यात्रा का कार्यक्रम व उद्देश्य बताकर अनुमति मांगेंगे। इसके साथ ही जांच एजेंसी के तीन दिन के नोटिस पर हाजिर होना होगा।
अपनी याचिका में कुलदीप बिश्नोई ने कहा था कि उनके खिलाफ ब्लैकमनी एक्ट के लंबित चारों मामलों में उन्हें जमानत मिली हुई है और जमानत की शर्त में विदेश जाने पर कोई रोक नहीं है। हालांकि विदेश जाने के 15 दिन पहले अदालत को जानकारी देने की शर्त है । याचिका में कहा गया कि वह चारों केस में नियमित रूप से अदालत में हाजिर हो रहे हैं और जांच में सहयोग भी कर रहे हैं। वह एक राजनेता हैं और विदेश नहीं भाग सकते, इसलिए लुक-अाउट सर्कुलर का कोई आधार नहीं है। वहीं, आयकर कार्यालय ने कहा कि यदि एलओसी रद्द कर दिया गया तो वह अपनी विदेशी संपत्तियों को नष्ट करके सबूत मिटा सकते हैं। अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के कई निर्णयों का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि इस आधार पर एलओसी जारी नहीं किया जा सकता कि आरोपी जांच में गोलमाल व असंतोषजनक जवाब दे रहा है। वह भारत वापस नहीं आएगा, इस शंका के आधार पर भी विदेश जाने पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि ट्रायल एक लंबी प्रक्रिया है।
कई देशों में संपत्तियों का संदेह
अदालत ने कहा कि आवेदक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से है, उनके परिवार के सभी सदस्य भारत से हैं और उनकी भारत में काफी संपत्ति है। ऐसा नहीं लगता कि आवेदक अपने राजनीतिक करिअर को क्षति पहुंचाकर विदेश भागेगा। जांच रिपोर्ट के संबंध में अदालत ने कहा, ऐसा संदेह है कि 'यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका तक दर्जनों देशों में उनकी अघोषित विदेशी संपत्ति है।' यदि विदेश जाने की अनुमति दे दी जाए, तो वह संपत्ति और सबूतों को नष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है। लेकिन विदेश यात्रा करने का अधिकार मौलिक है, इस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
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