13 दिवसीय विदेशी भ्रमण के बाद वतन वापसी बिश्नोई संत सच्चिदानंद जी आचार्य

राजस्थान बिश्नोई समाचार श्रीगंगानगर बिश्नोई समाज के संत अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक ओजस्वी वाणी के धनी संत स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य आज 13 दिवसीय अविस्मरणीय आस्ट्रेलिया यात्रा पूर्ण कर आज वतन वापसी की बिते कल रात्रि 11 बजे मेलबर्न एयरपोर्ट से सिंगापुर होते हुए गुरू रामदास हवाई अड्डा अमृतसर पहूंचे।  

आचार्य जी ने बताया कि आस्ट्रेलिया आमंत्रण के लिये विशेषतः तीन लोगों ने प्रारंभिक प्रयास किये जिनमें श्री संजीव जी सियाग, श्री इन्द्र जी गोदारा, श्री मोहित जी धारणियां द्वारा उत्कट अभिलाषा के चलते व गुरू महाराज की अहैतुकी कृपा से यह यात्रा अंतिम पड़ाव तक पहुँची। 

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आचार्य जी ने ह्रदय से आभार प्रकट किया

आचार्य जी ने कहा कि उन सभी भ्रातृ भगिनीयों का अनन्त आभार जिन्होंने अपने घर पर हवन , ज्योत व भोजन का कार्यक्रम रखा व अपना अमु्ल्य समय निकालकर हर कार्यक्रम में शामिल हुए। विशेष रूप से सब बहनों का आभार जिन्होंने शुद्ध सात्विक भोजन बनाकर सभी को तृप्त किया ।

आस्ट्रेलिया प्रवास के दौरान वहाँ की संस्कृति को समझने प्रयास किया। जिसमें बहुत सारे वृतांत पूर्व में फेसबुक व न्यूज़ के माध्यम से साझा कर चुका हूँ। उनका पृष्ठप्रेषण न करते हुए यात्रा के सार रूप में कुछ बिंदु निम्नलिखित हैः- कलम स्वामी सच्चिदानंद आचार्य लालासर साथरी 

१- यहां प्रवास कर रहे कई सजातीय बंधुओं के घर जाना हुआ। सभी का धर्म, समाज व स्वदेश के प्रति अटूट विश्वास परिलक्षित हुआ।


२- अपने घर से फ़क़त एक झोला लेकर निकले नौजवान आज लाखों रूपये महीना की कमाई कर रहे है।जिससे वे न केवल अपना जीवन सुखद यापन कर रहे है बल्कि अपने परिजनों का भी वित्तपोषण कर रहे है।


३- अत्याधुनिक सुविधाओं व भौतिकता की चकाचौंध में रहते हुए भी सभी के घरों मे नियमित गुरू महाराज की ज्योति जलती है। 


४- सभी का प्रयास है कि शीघ्रातिशीघ्र गुरू महाराज का मंदिर व सामाजिक स्थान आस्ट्रेलिया में बने। जल्द ही आस्ट्रेलियन बिश्नोई काउंसिल(ABC) का गठन कर इस मूर्त रूप दिया जायेगा।


५- यहाँ पर उच्च शिक्षा प्राप्ति व रोज़गार के लिये आने वाले नौजवानों में जांभाणी संस्कार व संस्कृति के अभिसिंचन का ईश कार्य होगा। साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समाज की पहचान में अभिवृद्धि होगी। 


६-  अधिकतम बिश्नोई युवानों ने अपनी कारों के नम्बर “बिश्नोई” ले रखे हैं ।जिसमें स्पेलिंग कुछ अलग है ,लेकिन सबका अर्थ व उद्देश्य एक ही है बिश्नोई पंथ को लोग अधिक से अधिक जाने व अपने धर्म पर गर्व कर सकें।


७-यात्रा का केंद्र मेलबर्न रहा परंतु सिडनी, केनबरा व एडिलेड भी जाना हुआ। सब शहरों में बिश्नोई बंधु आबाद है।


८- यहाँ पर लगभग १००से १५० परिवार आवासित है तो रोजगारोन्मुख युवा भी सैकड़ों की संख्या में अपना भविष्य संवार रहे है।


९- विद्यार्थियों के लिये यहाँ शिक्षा के साथ-साथ कमाई के भी बहुत अवसर है।


१०-कोई भी काम यहाँ छोटा बड़ा नहीं है । मेहनत करने वाले यथानुसार पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है। न्यूनतम पारिश्रमिक १०००₹ प्रति घंटा है जो कार्यानुसार अधिकतम १०००० तक भी होता है।अधिकतर कार्य तकनीक व मशीनो से किया जाता है। यहाँ एक अधिकारी से ज़्यादा एक ड्राइवर, कारपेंटर व पलम्बर की कमाई हो जाती है।

११-पर्थ, ब्रिसबेन और तस्मानिया से भी सभी के निमंत्रण आ रहे थे पर समय की बाध्यता के कारण जा नही पाये। अगली यात्रा में इन शहरों मे प्राथमिकता से आयेंगे।


१२- मेलबर्न,सिडनी व एडिलेड के हवन मे आहुति लगाने व पाहल लेने हज़ारों किलोमीटर की यात्रा करके भी कुछ युवान पहुँचे थे। विलायत व पश्चिमी संस्कृति के बीच रहते हुए भी यह भावना देखकर समाज का भविष्य सुरक्षित नज़र आता है।


१३-प्रस्थान करते समय संजीव जी के घर पर यात्रा की चिरस्मृति हेतु दो पेड़ लगाये। विदाई के समय पूरे मेलबर्न शहर से २०/३० बन्धु भगिनीयों के भावुक विदाई दी। इतना स्नेह देकर इस यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया । 


१४- अमृतसर पहुँचने पर श्री सुनील जी सारण फ़क़ीर वाली ने सपरिवार एयरपोर्ट पहुँचकर अभिवादन किया। सुनील जी सारण व सतीश जी सचदेवा ओक्सफोर्ड ग्रुप के अंतर्गत IELTS व PTE का कोर्स अलग-अलग शहरों मे( बठींडा,सिरसा,अमृतसर, श्री गंगानगर, मलेर कोटला)संचालित कर रहे है। विश्वभर मे स्टडी वीजा पर जाने वाले विद्यार्थियों को वीजा दिलाने के कार्य भी करते है। इनके संस्थान में गुरू महाराज की ज्योति प्रज्वलित कर संस्थान के और अधिक वृहद् विस्तार हेतु कामना की। अमृतसर से बठींडा तक सुनील ने अपने निजी वाहन से यात्रा करवाई।

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