अज्ञात रोग से वन्यजीव हिरणों की मौत जिला रोग निदान प्रयोगशाला ने लिये खून के नमूने

राजस्थान बिश्नोई समाचार नागौर जिले के वन्यजीव हिरणों में इन दिनों एक अज्ञात रोग फैलने के कारण मौत हो रही है। श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बिश्नोई ने वन विभाग के उपवन संरक्षक नागौर तथा संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग नागौर को पत्र लिए कर बताया कि गत 20 दिनों से एक अज्ञात रोग के कारण हिरणों की मौत हो रही है। उन्होंने पत्र में बताया कि वन्यजीव हिरणों के पैरों में सूजन आती है। तेज बुखार आता है। खाना-पीना बन्द कर देते हैं। धीरे-धीरे पाँच सात दिन में कमजोर होकर बैठ जाते हैं । ज्यादा सूजन के बाद पैरों की चमड़ी उधड़ जाती है। खून निकलता है। पैरों में मवाद बन जाता है। गंभीर घायलल होने पर मौत हो जाती है। पत्र में पुख्ता जानकारी दी गई कि जम्भेश्वर रेस्क्यू सेंटर श्री बालाजी में गत 20 दिनों में ऐसे दस हिरण गंभीर घायल अवस्था में ग्रामीणों द्वारा पहुंचाये गये जिनकी तीन-चार दिनों में मौत हो गई।
रोग गस्त हिरणों की वजह से रेस्क्यू सेंटर में मौजूद कुछ  स्वस्थ हिरणों को भी उक्त रोग ने चपेट में ले लिया। वर्तमान में पांच हिरणों के पैरों में सूजन आई हुई हैं, तेज बुखार है। उनकी जांच की जावे कि यह क्या रोग है। इसका निदान होना आवश्यक है । 

           जिस पर आज जिला रोग निदान प्रयोगशाला के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार वैष्णव के नेतृत्व में एक टीम श्री बालाजी पहुंची। बीमार चिंकारा चिकू, बबली तथा गुड्डी नामक तीन हिरणों के खून के नमूने लिये हैं। डॉ. अनिल कुमार के साथ पशुधन सहायक शारदा, हनुमानसिंह तथा परसाराम बडारिया थे। डॉक्टर ने बताया कि यह लम्पी रोग तो नहीं लग रहा है, मगर अज्ञात रोग है। नमूनों को राज्य की अन्य प्रयोगशालाओं तथा राज्य से बाहर की प्रयोग शालाओ में जांच करवाकर रोग का पता  लगाएंगे। उक्त रेस्क्यू सेंटर में निस्वार्थ भाव से मूक प्राणियों की चार सालों से निरंतर सेवा करने वाली प्राणीमित्र पूजा बिश्नोई ने हिरणों को पकड़ कर उनके खून के नमूने चिकित्सकों की टीम को भरवाये ।

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