राजस्थान बिश्नोई समाचार जैसलमेर Pokaran: राजस्थान में वन्यजीवों और पर्यावरण की रक्षा के लिए पहचाने जाने वाले बिश्नोई समाज के एक परिवार ने अनूठी मिसाल पेश की है।
क्षेत्र के धोलिया गांव निवासी शिव सुभाग मांजू के परिवार ने एक हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पालकर बड़ा किया. जिसके बाद गुरुवार रात्रि जागरण का आयोजन कर शुक्रवार सुबह सामूहिक भोजन का आयोजन कर उसे अपनी बच्ची कि तरह विदाई देते हुए जोधपुर जिले के लोहावट में स्थित रेस्क्यू सेंटर में भिजवाया है।
गोरतलब है कि सनावड़ा गांव के पास करीब नौ माह पहले एक मादा हिरण ने एक बच्चे को जन्म दिया था. जन्म देने के 15 दिन बाद मादा हिरण को आवारा श्वानो ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया था, जिस पर शिव सुभाग ने हिरण के बच्चे को बचाने के लिए अपने घर पर लेकर आए. शिव सुभाग कि धर्म पत्नी शिव सोनिया ने हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पालन पोषण कर गाय का दूध पिलाना शुरू किया.
जन्म के 15 दिन बाद ही मां से बिछड़ गया था हिरण
हिरण का बच्चा अब नौ माह का हो चुका है और अब तंदुरूस्त होकर चहल कदमी करने लगा है. शिवसुभाग के परिवार ने हिरण बच्चे को 'लोरेंस' नाम भी दिया है. समय-समय पर दूध-पानी देने वाले परिवारजनो से हिरण के बच्चे को इतना लगाव हो गया है कि पूरे दिन वह परिवार के इर्द-गिर्द ही रहने लगे हैं. थोड़ा दूर चले जाने पर जैसे ही मौजूद परिवार उनके नाम से पुकारते हैं तो वह दौड़ते हुए उनके पास आ जाता है. यह किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं है.
बाटल से दूध पिला-पिलाकर जिंदा रखा बच्चों को
शिव सुभाग कि पत्नी शिव सोनिया ने मादा हिरण के बच्चे को अपने बच्चे कि तरह बाटल से दूध पिला-पिलाकर जिंदा रखा और अब वह तंदुरूस्त होकर चहल-कदमी करने लगा है. करीब सात माह की उम्र वाले हिरण के बच्चे माया के परिवार वालों से इतना घुल-मिल गये कि उन्हें वो अपने परिवार के सदस्य मानने लगे हैं. यहीं वजह है परिवार वाले जैसे ही उनके नाम लेकर उसे पुकारते हैं. वो दौड़ते हुए उनके पास आकर उछल-कूद शुरू कर देते हैं और शिवसुभाग के बच्चों शिवसुच्ची, शिव सावित्री, शिव शिल्पा, शिव शेलेन्द्र के साथ सारा दिन खेलते रहता है.
रात्रि जागरण का आयोजन कर लोरेंस को दी विदाई
शिवसुभाग ने बताया हिरण का बच्चा इतना चंचल है कि कुछ ही दिनों में वे फैमिलियर हो गया और उसका डर खत्म हो गया. बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके हाथ से दूध पी लेते हैं. वहीं करीब नौ माह की देखभाल के बाद वह पूर्ण रुप से तंदुरुस्त हो गया है. अब वह घर से बाहर चला जाता है, जिससे उनको आवारा कुत्तों के हमले होने का डर सता रहा था।
एक टिप्पणी भेजें