पश्चिम राजस्थान में वन्य जीव विलुप्ति की कगार पर

राजस्थान बिश्नोई समाचार बाड़मेर। प्रदेश में 3 मार्च 2022 को वन्य जीव दिवस मनाने जा रहें हैं क्या हमने कभी सोचा की वन्य जीव, एवं वनस्पतियां विलुप्त होने का संकट गहराता जा रहा है। आने वाले समय में हम महज़ कागजों में ही वन्य जीव दिवस मनायेंगे।ओर किताबों में ही चित्र,फोटो के माध्यम से वन्य जीवों को पहचानेंगे। क्योंकि धरातल पर इन जीवों के विलुप्ति होने की आंशका है।हम विनाश कि अंधी दौड़ में हमारी प्राकृतिक विरासतों को नष्ट कर रहे हैं। इसका परिणाम की विशेषकर बाड़मेर जिले में 70 दशक से पाते जाने वाला गोडावण पक्षी इस क्षेत्र से हमेशा के लिए विलुप्त हो गया।गोडावण के बाद काला हरिण,चिंकारा,बटेर,तीतर,ईगल, गिद्ध,सियार,जरख,सेह,लोमङी राज्य पशु ऊंट विलुप्ति की कगार पर है। बाड़मेर जिले में बाखासर रण, में पाये जाने वाला गधा,व इस रण में पाये जाने वाले खारे पानी के ऊंट भी विलुप्त हो गये।साथ ही प्राकृतिक की बहुमुल्य धरोहर झाखरड़ा, रेडाणा रण, पचपदरा के तालाब इन वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक आवास है लेकिन बाड़मेर में कार्यरत कंपनियों व सौलर प्लांट,विंडमी,तेल उत्खनन, अवैध खनन, रिफाइनरी के कारण इन वन्य जीवों पर संकट बन रहा है। साथ ही खेतों में लगी प्लास्टिक जाळी इनका काल है।तालाबों, नदियों,को प्रदूषित किया जा रहा है ओरण,गोचर,प्राकृतिक आवासों पर अतिक्रमण साथ ही अवैध मार्ग व औधोगिक घरानों की दखलअंदाजी से वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही हमें घास के मैदानों को मनरेगा के तहत विकसित करना होगा तभी वन्य जीवों का संरक्षण हों सकेंगा।

इनका कहना है
पश्चिम राजस्थान में सरहदी बाड़मेर जिला वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र है यहां विदेशी पक्षियों का विचरण क्षेत्र रहा है एवं वन्य जीव व दुर्लभ प्रजाति के जानवर भी है।एक विशेष धर्म परंपरा के कारण संरक्षित है जिससे प्रत्येक व्यक्ति को इस तरफ़ ध्यान देकर वन्य जीव एवं पर्यावरण को बचाने में आगे आना चाहिए। विश्नोई सम्प्रदाय इसका अनुकरणीय उदाहरण है जिसका हम सब को स्मरण करना चाहिए। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी वन्य जीवों को विचरण करते देख सकें। साथ वन मंत्री इसी जिले से आते हैं लेकिन पेश हुए आम बजट में पश्चिम राजस्थान में वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर जिक्र तक नहीं है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
भंवरलाल भादू जम्भेश्वर वाइल्डलाइफ एनवायरमेंट सोसायटी जिला संयोजक बाड़मेर

इनका कहना है
इंटेक व राणी भटियाणी ट्रस्ट जसोल द्वारा हमने जसोल के पास माता जाळ ग्राम पंचायत में प्राकृतिक, तालाब का जिर्णोद्धार करवाया। उसका परिणाम है कि आज़ उस क्षेत्र में हजारों वन्य जीव व विदेशी पक्षी प्रवास कर रहे हैं हमें एक योजना बनानी चाहिए की प्रत्येक राजस्व गांव में एक महत्वपूर्ण तालाब बनाकर पाइपलाइन से जोड़ा जाना चाहिए। इससे जल संकट नहीं होगा तो वन्य जीव आवास क्षेत्र में विचरण करते रहेंगे साथ ही मानव आवासीय क्षेत्र में दखलअंदाजी नहीं करेंगे इससे दुर्घटना कम होगी और प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रहेंगे। साथ ही जगह जगह वन विभाग द्वारा वन चोकी स्थापित करनी चाहिए।व शिकारियों पर विभाग नकेल कसे।व वन विभाग व सरकार के साथ मिलकर आवंटित हथियारों व लाईसेंस की पुनः समीक्षा हो ओर एक प्रावधान में डालें की वन विभाग की एनओसी लाइसेंस में अनिवार्य हो ताकि वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्रों में लाइसेंसधारियों की सूची वन विभाग के पास हो ताकि शिकार होने पर उन्हें भी तलब किया जाना चाहिए।
यशवर्धन शर्मा इंटेक बाड़मेर

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