स्वामी सच्चिदानन्द आचार्य लालासर साथरी -जीवन परिचय

बचपन का नाम-श्रीचंद सियाग
जन्म-20 मार्च 1992
पिता का नाम-मोहन लाल सियाग
जन्म-रासीसर, नोखा, बीकानेर
शिक्षा-2015 में आचार्य की उपाधि । वर्तमान में 'वेदांत के आलोक में जम्भवाणी का अनुशीलन' विषय पर शोधरत...(PhD)
साधुत्व धारण-4 जुलाई 2008
पहली बार कथावाचन- 21 वर्ष की आयु में जनवरी 2013 में ।
विलक्षण प्रतिभा के धनी Swami Sachchidanand Acharya  की याददाश्त क्षमता जबरदस्त है। 400 से अधिक भजन और साखियां कंठस्थ है।
अनुशासन-समाज में लोकप्रियता और कठोर दैनिक अनुशासन के कारण आपके 3 से 4 महीने का शेड्यूल पहले से तैयार रहता है।

उपलब्धियां
1.बिश्नोई समाज में 2000 से अधिक जागरण लगा चुके हैं।
2.110 से अधिक कथाएं कर चुके...
3. 5 युवा सम्मेलनों का सफल आयोजन कर चुके हैं।

स्वामी जी आपने समाज को ईश्वरीय ज्ञान से जोड़ने, सनातन संस्कारों को पल्लवित पुष्पित करने तथा लोगों को जीवन जीने की कला सीखाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। साधु-संत का सभ्य समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। कोई भी समाज हो संत में यह देखता है कि उसमें सहजता है या नहीं, हृदय में सात्विक गुण है या नहीं। क्षमाशीलता है या नहीं। संयम है या नहीं। संत में दूसरों की भलाई करने की भावना है या नहीं। आप संतत्व के इन सभी गुणों पर खरे उतरते हैं। 

आपने हमेशा ही समाज के युवाओं को सही राह पर चलने
प्रेरित किया है ..हमारा मार्गदर्शक बनने और हमें प्रेरित करने के लिए प्रातः स्मरणीय युवा विद्वान संत स्वामी सच्चिदानंद आचार्य जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....

Post a Comment

और नया पुराने