अबोर में रैली बिश्नोई समाज का गौरव सहीराम बिश्नेाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किए जाने पर बिश्नोई सभा डबवाली की और से प्रधान कुलदीप जादूदा सचिव इंद्रजीत बिश्नोई व अन्य पदाधिकारियों ने पीएम का आभार जताया।
पंडाल में बैठे लोगों को इस दृश्य ने रोमांचित कर दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 वर्षीय सहीराम बिश्नोई का हालचाल भी पूछा। मंच पर जनसंघ के 1957 में अबोहर से विधायक रहे और अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष 100 वर्षीय एडवोकेट सहीराम बिश्नोई का सानिध्य पाकर नरेंद्र मोदी ने पूरे बिश्नोई समाज के प्रति मंच से कृतज्ञता जाहिर करते हुए गुरु जंभेश्वर भगवान एवं सभी समाज के इष्टदेव को प्रणाम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से बिश्नोई समाज की जीव रक्षा के प्रति प्रेरणादायी ख्याति को याद कर प्रणाम किय ा। संक्षिप्त बातचीत में सही राम बिश्नोई ने पीएम मोदी से सीमावर्ती इलाके के विकास की मांग उठाई। यह दृश्य देखकर मंच पर मौजूद पंजाब के कई उम्मीदवारों और राजस्थान से आए प्रभारी मंत्रियों सहित मंच पर मौजूद मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी सहित पंडाल में बैठे लोगों को इस दृश्य ने रोमांचित कर दिया।
ये है बिश्नोई समाज के गौरव
बिश्नोई समाज का गौरव सही राम बिश्नेाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किए जाने पर बिश्नोई सभा डबवाली की और से प्रधान कुलदीप जादूदा, सचिव इंद्रजीत बिश्नोई व अन्य पदाधिकारियों ने पीएम का आभार जताया। उन्होंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने सही राम बिश्नोई को उनके 100वें जन्मदिन पर फोन पर वार्तालाप करते हुए बधाई व शुभकामनाएं दी थी। इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि सहीराम जी बिश्नोई का जन्म 1922 में तत्कालीन संयुक्त भारत (वर्तमान पाकिस्तान) के भावलनगर रियासत के गांव तालिया में हुआ था। उनका परिवार 5000 बीघा का मालिक था और नवाब से परिवार का सीधा आना जाना था।
गांव को दिलवाई सुविधाएं
उस समय में अस्पताल और अन्य सुविधाएं अपने स्तर पर अपने बताएं गांव में लोगों को उपलब्ध करवाने के लिए चर्चित सम्मानित खानदान था। फिर भी उन्होंने भारत में बसने का फैसला लिया और सब कुछ वहीं छोड़ कर आ गए। सहीराम 1947 में लाहौर कॉलेज में लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान बंटवारे के बाद वे भारत आए और लंबे समय तक संघर्ष करते हुए बिश्नोई समाज में विभिन्न धार्मिक स्थलों को स्थापित कराया। उन्होंने 1952 में आजाद चुनाव लड़ा तथा 1957 में जनसंघ पार्टी ने सही राम धारणियां को अबोहर से अपने चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारा जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। उन्होंने राष्ट्र भाषा हिंदी के लिए 1958 में संघर्ष किया जिससे उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
समाज के लोग प्रेरणा के तौर पर अपनाते हैं
हरियाणा सरकार ने उन्हें हिंदी आंदोलन सेनानी सम्मान देकर सम्मानित किया। उनके पोते उमेद बिश्नोई व गांव के निवर्तमान सरपंच यादगीर सिंह जांदू ने बताया कि एडवोकेट सहीराम बिश्नोई 100 वर्ष की उम्र में खेतीबाड़ी देखते हैं, बिना चश्मे अखबार पढ़ते है और रेडियो सुनकर देश दुनिया के बारे में अपडेट रहते हैं। वे हरियाणा के गांव सकता खेड़ा में पंजाब सीमा पर खेतों में बनी अपनी ढाणी में रहते हैं। उनकी ईमानदार शैली और शालीनता एवं नशा एवं कुरीति मुक्त जीवन को बिश्नोई समाज ही नहीं सभी समाज के लोग प्रेरणा के तौर पर अपनाते हैं।
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