राजस्थान बिश्नोई समाचार पंजाब जैसे ही 2014 में भारत की राजनीति में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ और सालों तक राजनीति के गलियारों में अपनी सता स्थापित करने वाली कांग्रेस बहुमत को प्राप्त नहीं कर पायी और नरेन्द्र मोदी भारत के अभी तक के सबसे चर्चित प्रधानमंत्री बने। मोदीजी एकमात्र ऐसे राजनेता रहे हैं जो लोगों की भावनाओं के अनुरूप अपनी चुनावी रणनीति को आजमाते हैं तथा वो लोगों को अपनी और आकर्षित करते है ।
मोदीजी ने प्रथम बार बिश्नोई समाज के पर्यावरण संरक्षण को अनेक मंचों से संबोधित किया जिसमें राजस्थान के जोधपुर, नागौर हो या हरियाणा के कुछ क्षेत्र जहां गुरु महाराज के धर्म नियमों पर चलने वाले लोगों का गुणगान किया और मां अमृता के बलिदान को नमन करते हुए बिश्नोई समाज को मान सम्मान दिया इन्हीं संबोधन के तहत पंजाब के चुनाव में भी अबोहर से एक बार फिर बिश्नोई समाज के योगदान को याद करते हुए नमन किया है। वाकई ये पल बिश्नोई समाज के गौरवशाली परंपरा का परिणाम है
जो गुरु जम्भेश्वर भगवान ने अपने अनुयायियों को प्रदान किये हैं तथा विश्व में एकमात्र पर्यावरण संरक्षण का काम करने वाले लोगों के लिए भी गौरवान्वित होने का क्षण है क्योंकि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र का प्रधानमंत्री उनके योगदान को बङे मंचों से संबोधित कर रहे हैं। लेकिन क्या समाज के नेता और अगर पंक्ति के गणमान्य लोग उनके संबोधन को धरातल पर भी लाने के लिए प्रधानमंत्री जी को मना पायेंगे क्योंकि आज भी खेजङली की धरा अनेक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तथा राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा भी नहीं प्राप्त कर पाई हैं। आदरणीय मोदी जी संबोधन के साथ एकबार खेजङली और मुकाम तीर्थ स्थल की भी यात्रा करके समाज को गौरवान्वित करे तो भी बिश्नोई समाज अपने आप को और गौरवशाली महसूस करेगा जिसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।
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