Premsukh Bishnoi : सरकारी स्कूल में पढ़कर बिना कोचिंग के बने IAS, क्यों नहीं भूलेंगे घड़साना आंदोलन?

राजस्थान बिश्नोई समाचार मिलिए इनसे। ये हैं प्रेमसुख बिश्नोई। सरकारी स्कूल-कॉलेज में पढ़कर आईएएस बन गए हैं। इनके आईएएस बनने की कहानी हर किसी युवा के लिए प्रेरणादायी है। प्रेमसुख बिश्नोई राजस्थान में पाकिस्तान बॉर्डर से लेकर चंबल बीहड़ तक के इलाके में सेवाएं दे चुके हैं।

प्रेमसुख बिश्नोई 29 साल से हैं सर्विस में

बतौर प्रशासनिक अधिकारी प्रेमसुख बिश्नोई 29 साल की सर्विस पूरी कर चुके हैं। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। बहुचर्चित घड़साना किसान आंदोलन को ये कभी नहीं भूल पाएंगे। बीकानेर के उदासर स्थित आयुध डिपो में विस्फोट की अफवाह के कारण पूरे शहर में अफरा-तफरा के माहौल की यादें भी इनके जेहन में ताजा हैं।


आईएएस अधिकारी प्रेमसुख बिश्नोई का इंटरव्यू

वन इंडिया हिंदी से बातचीत में राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी प्रेमसुख बिश्नोई ने किसान के घर पैदा होने, गरीबी में बचपन बिताने, प्रतियोगी परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने और फिर 29 साल तक बेदाग छवि के प्रशासनिक अधिकारी के रूप में सेवाएं देने तक का पूरा सफर बयां किया।


17 आरएएस अफसरों को मिली पदोन्नति

दरअसल, राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के 17 अफसरों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में पदोन्नत किया है। इनमें बहुचर्चित आईएएस दम्पती इकबाल खान और डॉ. रश्मि शर्मा के साथ-साथ बिश्नोई समाज के गौरव प्रेमसुख बिश्नोई का नाम भी शामिल है।

आईएएस प्रेमसुख बिश्नोई कौन हैं?

नवपदोन्नत आईएएस प्रेमसुख बिश्नोई बताते हैं कि उनका जन्म 12 दिसम्बर 1964 को राजस्थान के नागौर जिले के गांव रोटू में किसान मोहनलाल बिश्नोई व धूड़ी देवी के घर हुआ। उस वक्त परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।


प्रेमसुख बिश्नोई ने सूरत से की इंजीनि​यरिंग

प्रेमसुख बिश्नोई ने शुरुआती शिक्षा गांव से ली। फिर बीकानेर सार्दुल स्कूल व डूंगर कॉलेज से डिग्री प्राप्त की। साल 1983 में सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरत से इंजीनियरिंग की।


पहले प्रयास में बने आरएएस अफसर

इंजीनियरिंग के बाद प्रेमसुख बिश्नोई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गए और जयपुर में किराए का मकान लेकर रहे। साल 1992 में पहले प्रयास में आरएएस परीक्षा 9वीं रैंक से उत्तीर्ण की।


IAS प्रेमसुख बिश्नोई का आरएएस के रूप में ​सर्विस रिकॉर्ड

RAS में चयन होने के बाद PremSukh Bishnoi को साल 1994 में एसीईएम बीकानेर के रूप में पहली पोस्टिंग मिली। फिर पाली, बीकानेर, हनुमानगढ़, धौलपुर व जयपुर में कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी। वर्तमान में सचिवालय जयपुर में अतिरिक्त आयुक्त विभागीय जांच के पद पर कार्यरत हैं।


आईएएस Premsukh Bishnoi का परिवार

आईएएस प्रेमसुख बिश्नोई की शादी रमा ​बिश्नोई से हुई। ये हाउसमेकर हैं। इनका बेटा मनीष बिश्नोई आरएएस और बेटी सुनंदा आरजेएस की तैयारी कर रही है। प्रेमसुख बिश्नोई अपने परिवार में इकलौते प्रशासनिक अफसर हैं।


घड़साना किसान आंदोलन में भूमिका

प्रेमसुख बिश्नोई कहते हैं कि अपनी 29 साल की सर्विस में घड़साना किसान आंदोलन 2004 सबसे यादगार है। उस वक्त मैं बीकानेर जिला परिषद में एसीईओ पद पर तैनात था। आंदोलन का मुख्य केंद्र पड़ोसी जिला श्रीगंगानगर था, मगर आंदोलनकारी किसान बीकानेर की ओर कूच करने लगे। तब मुझे बीकानेर-श्रीगंगानगर बॉर्डर पर मौका मजिस्ट्रेट लगाया गया था।

दो से तीन घंटे ही कर पाते थे आराम

आंदोलनकारी किसान बीकानेर की ओर बढ़ना चाहते थे, मगर रास्ते में हम प्रशासनिक अधिकारी भारी संख्या पुलिस जाब्ता लेकर तैनात थे। उस वक्त 24 घंटे में से महज 2-3 घंटे ही सो पाते थे। आठ से ​दस दिन ऐसे ही गुजारे। फिर किसान प्रतिनिधियों को समझाने में हम सफल हुए।


बिश्नोई समाज के गौरव हैं ये अफसर

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम नोखा बीकानेर के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया कहते हैं कि राजस्थान केबिश्नोई समाज ने देश व प्रदेश को ​कई काबिल अफसर दिए हैं। इनमें आईपीएस देवेंद्र बिश्नोई, कैलाश बिश्नोई, प्रेमसुख डेलू, सुशील कुमार बिश्नोई और आईएएस प्रेमसुख बिश्नोई, परी बिश्नोई आदि शामिल हैं।


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