शुरुआत हरदम छोटे-छोटे प्रयासों से ही होती है अंततः मंजिल तक पहुंचा जा सकता - आचार्य जी

राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर नोखा निर्वाण स्थली लालासर साथरी धाम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना गाइडलाइन्स की पूर्ण पालना करते हुए श्री जाम्भाणी हरि कथा एवं ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस की कथा का भव्य आयोजन लालासर साथरी महन्त श्री राजेंद्रा नंद जी के सानिध्य में किया गया।जिसमें कथावाचक आचार्य सचिदानंद जी ने कथा का श्रवण करवाकर श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया।

आचार्य श्री ने बताया कि सेवा करने से जीवन सफल हो जाता है  सेवक के पास भगवान खुद चलकर आते है।भगवान साधनों से नही साधना से मिलते है।सेवक का मतलब यही होता है कि  उसकी सेवा दिखाई देती है।यदि सेवा करने वाले का मन और ह्रदय पवित्र है तो भगवान प्रकट होते है।प्रसंग के माध्यम से बताया कि शबरी की सेवा,भक्ति,धेर्य को बताया गया।उन्होंने धरनोक के रूपा की सेवा को बताया।
आचार्य श्री ने बताया कि शुरुआत हरदम छोटे-छोटे प्रयासों से ही होती है अंततः मंजिल तक पहुंचा जा सकता और तब जाकर सफलता मिलती है।किसी भी काम के लिए निरंतरता बहुत जरूरी है।

आचार्य श्री ने बताया कि किसी भी समाज को आगे बढ़ने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है।शिक्षा से ही आगे बढ़ा जा सकता है।वर्तमान में बिश्नोई समाज की प्रतिभाएं आगे बढ़कर नाम रोशन कर रही है।यदि समाज के बच्चों को आगे बढ़ाना है तो उनको मानवता की शिक्षा ओर संस्कारो की शिक्षा बहुत जरूरी है। 

आचार्य श्री ने बताया कि इंसान का किया हुआ सुकृत कभी भी व्यर्थ नही जाता है ठीक इसीB प्रकार आपके द्वारा बोया गया बीज उगकर फल अवश्य देता है यदि बीज बोया ही नही तो फल की प्राप्ति नही हो पाएगी।

आचार्य श्री ने बताया कि कर्म का फल अवश्य मिलता है यदि आपका अच्छा कर्म किया हुआ है  तो परिणाम अच्छा नही बुरा परिणाम अवश्य मिलता है।इंसान के जीवन मे उन्नति और अवनति चलती रहती है।ठीक उसी प्रकार जो आज दुखी है वो सुखी अवश्य  होगा।

आचार्य श्री ने पाखंडी सानिये का प्रसंग बताते हुए कहा कि सानिया एक पाखंडी था और विभिन्न आडम्बरो के माध्यम से भोली भाली जनता हो ठगता था।उस सानिये को गुरु जाम्भोजी ने पाखंड से पिंड छुड़वाकर शिष्य बनाया।

आचार्य श्री ने बताया कि भगवान  भक्त ओर शरनागत की लाज रख लेते है,ओर उनकी रक्षा कर ही लेते है पर भक्त को पूर्ण समर्पित होना पड़ता है।प्रसंग के माध्यम से बताया कि महाभारत में भीष्म भगवान के भक्त थे और श्री कृष्ण ने हथियार उठाकर उनके दुर्योधन को किए हुए वचन से लाज रखी थी।

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