बिश्नोई शिक्षक ने भामाशाह बनकर पूरे विद्यालय परिसर को बनाया तिरंगामय, राज्य स्तर शिक्षक सम्मान से नवाजा

अनुकरणीय पहल सम्पूर्ण विद्यालय परिसर को दिया अनोखा रूप
राजस्थान बिश्नोई बाङमेर धोरीमन्ना अच्छा शिक्षक वहीं होता है जो हर समय अपने विद्यालय परिवार के सर्वांगीण विकास के लिए सोचता रहता हो उसके मन मे हर समय अपने विद्यार्थियों की पढाई के लिए अच्छे माहौल और संस्कार देने की ललक रहती हो ऐसे ही शिक्षक है राजकीय माध्यमिक विद्यालय पाबूबेरा मे कार्यरत शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई इसी उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए उन्होंने अपने विद्यालय मे जर्जर हो रहे भवनों का सौन्दर्यकरण करने के लिए रंग रोगन, साज सज्जा, चारदीवारी की सजावट व विद्यालय परिसर मे स्थित पेङ पौधों को तिरंगामय रूप देकर विद्यालय परिवार मे नयी उमंग व जोश भरने का कार्य किया शिक्षक विश्नोई स्वयं भामाशाह बनकर विद्यालय समय से पहले व विद्यालय समय के बाद तथा अवकाश के दिनों मे खुद रात-दिन एक करके करीब बीस दिनों की मेहनत से विद्यालय परिसर को नया स्वरूप देकर एक अनुकरणीय कार्य किया है जो हर शिक्षक के लिए प्रेरणास्रोत का अग्रणी कदम माना जा सकता है 

चॉक के साथ तगारी, फावड़ा व ब्रुश लिया हाथ मे

विद्यालय समय के पश्चात शिक्षक ने हाथ मे तगारी फावड़ा लेकर दीवारों की मरम्मत एवं ब्रुश लेकर पूरे विद्यालय को रंग रोगन से संवारते हुए छात्रों को स्वालम्बन का संदेश दिया

भामाशाह बनकर विद्यालय में ट्यूबवेल खुदवाया, राज्य स्तर शिक्षक सम्मान से नवाजा

विद्यालय परिसर में पानी की कमी को देखते हुए शिक्षक जगदीश प्रसाद बिश्नोई ने भामाशाह बनकर खुद ने ट्यूबवेल खुदवाकर विद्यालय को समर्पित किया वही उत्कृष्ट कार्यो के लिए राज्य स्तर पर शिक्षक सम्मान से नवाजा गया

शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई की कार्यशैली अनोखी है जिसे देखकर हम सभी अचम्भित है जब हम विद्यालय आते हैं तो आगे काम मे लगे हुए मिलते हैं विद्यालय समय के बाद वापस काम मे लग जाते हैं मुझे बहुत ही खुशी है कि हमें ऐसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारी के साथ काम करने का अवसर मिला है इन्होने विद्यालय विकास से जुड़े कई कार्यों मे सराहनीय योगदान दिया है। 
-अचलाराम सेवदा, प्रधानाध्यापक
 
हम पाबूबेरा गांव वाले भाग्यशाली है कि हमें जगदीश विश्नोई जैसे मेहनती और ईमानदार शिक्षक मिले है जो अध्यापन के साथ साथ विद्यालय से जुड़े हर कार्य को पूरा करने मे अग्रणी रहते है इस बार विद्यालय परिसर को तिरंगामय बनाकर नवीन आकार देने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
-कालूराम गोदारा, ग्रामीण

विद्यालय के भवनों का कई वर्षों से रंग रोगन नहीं होने के कारण दीवारों का पेंट उतर गया था, तब कोई भामाशाह नहीं मिलने पर स्वयं भामाशाह बनकर विद्यालय के लिए शिक्षण के बाद रंग रोगन व साज सज्जा का कार्य किया, इसके अलावा विद्यालय परिसर के सोन्दर्यकरण के लिए पेङ पोधों को तिरंगामय किया तथा अनावश्यक वस्तुओं को भी सुंदर रूप देकर बच्चों के लिए दर्शनीय बनाने का कार्य किया, जिससे विद्यालय का वातावरण आनंदमय हो सके और पढने व पढाने के लिए एक नया माहौल तैयार हो सके 
-भामाशाह शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई

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