राजस्थान बिश्नोई समाचार जालौर पंचायती राज चुनाव 2020 के दूसरे शिफ्ट के तीसरे चरण के चुनावों में जालौर जिले की चितलवाना तहसील की डूंगरी ग्राम पंचायत के चुनाव अपने आप में हर किसी व्यक्ति के लिए दिलचस्प चुनाव के रूप में उभर कर सामने आए थे।
इस पंचायत में सामान्य महिला वर्ग की सीट थी। और इसी ग्राम पंचायत के चुनाव को इतना लोकप्रिय बनाने की मुख्य भूमिका सरपंच पद हेतु चुनाव लड़ रही आयरन लेडी डॉ इंदिरा जी बिश्नोई की थी।
" सरपंच प्रतिनिधि प्रथा को समाप्त करने और आदर्श ग्राम पंचायत" बनाने का एक मजबूत सपना लेकर मैदान में उतरी डॉक्टर इंदिरा बिश्नोई सरपंच तो नहीं बन पाई मगर प्रतिद्वंद्वियों और आस-पड़ोस के सभी ग्रामीणों को यह महसूस करा दिया कि यदि महिला चाहती है तो स्वयं नेतृत्व कर सकती है और अपनी ताकत पर चुनाव भी लड़ सकती है। हम सलाम करते हैं इंदिरा जी के जज्बे को कि आपने विपरीत परिस्थितियों में पंचायती राज चुनाव में अपने दम पर भाग्य आजमाया और हार को जीत स्वीकार कर विजेता की जीत को अपनी जीत समझकर सहर्ष गले लगाया। और लोगों से विनम्र अपील की कि "आप मुझसे उम्मीद बनाए रखना। मैं हर समय आपके साथ हूं। गांव का विकास तो सरकारी बजट से होता है मगर व्यक्तिगत कार्य मैं मेरे निजी स्तर पर हर समय आपके लिए करती रहूंगी।आप मुझे सेवा का मौका देते रहना।समय-समय पर जरूरत पड़ने पर मुझे याद करते रहना। आपके साथ की मुझे जरूरत है। इसलिए आप मेरे साथ रहना मैं आपके साथ हूं।"
ये शब्द आप और हम सब लोगों के लिए कुछ अनसुने हैं।क्योंकि हम लोगों ने अक्सर देखा है कि महिला प्रतिनिधि जब चुनाव में करीबी मुकाबले से हार जाती है तो उसे चुनाव गणना कक्ष से 2-4 महिलाएं या पुरुष पकड़ कर बाहर लाते हैं। और कई बार तो सीधे चिकित्सालय ही ले जाते हैं।
मगर यहां ऐसा कुछ भी नहीं था बिल्कुल इन सब के विपरीत और निराले अंदाज में एक प्रेरणास्पद घटनाक्रम था।
जिसको हर कोई अपने कानों से सुनना और आंखों से देखना पसंद करता है। जीतने वाला पक्ष अपने समर्थकों की अभिवादन सभा दूसरे या तीसरे दिन रखते हैं मगर आपने उसी समय ही समर्थकों का अभिवादन कुछ इस अंदाज में किया कि लोग यह एकदम से भूल गए कि हम हारे हुए हैं या जीते हैं।सबके चेहरे खिले हुए थे।जिसकी वजह एक महिला का अपार प्रेम-स्नेह और मजबूत दिल था।
इंदिरा जी के चुनाव गणना स्थल से आने से पहले सब लोग यह सोच रहे थे कि इंदिरा जी को कैसे मुंह दिखाएंगे। उनसे कैसे बात करेंगे या फिर वह किस स्थिति में हमारे सामने होगी सबके मन में कुछ अनसुलझे सवाल थे मगर कॉलेज परिसर में आते ही समर्थकों का अभिवादन ऐसे किया कि जैसे वह कोई आसमान का फरिश्ता आया हो। सब के हौसले बुलंद हो गए समर्थकों और प्रतिद्वंद्वियों ने खुद पछतावा किया मगर "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत"
" इंदिरा तू इंद्र के समान महान है
तू नारी नेतृत्व की आन है
सब के दिलों में आपका स्थान है
क्योंकि ईश्वर पहले से ही आप पर
मेहरबान है"
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