शिवानी को बिछुड़ने का गम मगर "पारु"को कुनबा मिलने की खुशी

श्रीबालाजी 20 अक्टूबर ।बिश्नोई समाज के बच्चों में जीवरक्षा करने और प्रकृति से प्रेम करने की प्रेरणा जन्म से ही दी जाती है इसका एक जबरदस्त उदाहरण आज देखने को मिला । विद्यार्थी शिवानी ने " पारु" नामक हिरण शावक को जंभेश्वर रेस्क्यू सेंटर श्रीबालाजी में छोड़ा तो गदगद हो गई और आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ,उधर पारु हिरणी अन्य हिरणों का झुंड देखकर खुशी से झूम उठी और उनके साथ अठखेलियां करने लगी  । सेंटर पर मौजूद कुमारी पूजा सीगड़ ने बताया कि इस वर्ष अंग्रेजी माध्यम से सीनियर सेकेंडरी उत्तीर्ण करने वाली ग्राम अलाय तहसील व जिला नागौर निवासी छात्रा कुमारी शिवानी डेलू आज सुबह अपने पिता पुलिस हवलदार श्रवण राम विश्नोई तथा अन्य परिजनों के साथ अपनी निजी कार में 5 महीने की पारु नामक मादा हिरण शावक को लेकर सेंटर पर आए । उसकी मां सुमित्रा भाई नितिन तथा नाना जी भी साथ में थे पारु को सेंटर के अंदर छोड़ते ही वहां मौजूद  हिरणों का कुनबा मिल गया तो वह बहुत प्रसन्न मन से नाच कूद करने लगी मगर उसको 5 महीनों तक अपने घर पर दूध पिला कर पालने वाली शिवानी को उससे बिछुड़ने का गम महसूस हुआ तो आंखों में आंसू आ गए भावुक होकर गदगद हो गई और परिजनों को बोली मैं तो आज पारू के पास यहीं रहूंगी एक बार आप चले जाएं । वन्यजीव से लगाव और अपनापन का यह नजारा प्रकृति से प्रेम ,प्राणी मात्र के प्रति दया के संस्कारों का बीजारोपण होने का प्रमाण है ।वन्यजीवों के प्रति बच्चों का गहरा लगाव जीवनभर उनकों दयाभाव से ओतप्रोत रखता है ।

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