1987 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल को इसी उपाधि से अलंकृत किया गया था। उनके बाद कुलदीप बिश्नोई को बिश्नोई रत्न की उपाधि से नवाजा गया है। कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि जब पत्र के माध्यम से मुझे पता चला कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा समाज का सर्वोच्च सम्मान देना चाहती है तो वह क्षण मेरे लिए भावुकतापूर्ण था। इसीलिए मैंने महासभा से आग्रह किया था कि मुझे यह सम्मान नहीं चाहिए। समाज के लिए जो भी बन पड़ेगा मैं हमेशा करता रहूंगा।
उसके बाद समाज के अनेक गणमान्य लोगों ने फोन के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से, पत्रों के माध्यम से अपनी बात पहुंचाकर मुझसे कहा कि मुझे यह सम्मान ग्रहण करना चाहिए। 1987 में पिताजी जी को 59-60 वर्ष की आयु में 'बिश्नोई रत्न की उपाधि दी थी और आज 52 वर्ष की आयु में मुझे इस सम्मान को ग्रहण करते हुए समाज पर गर्व महसूस हो रहा है।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के सचिव देवेंद्र बूड़िया, सोमप्रकाश सिगड़, रामस्वरूप मांझू, सहदेव कालीराणा, राजाराम धारणिया, विनोद धारणिया, रामस्वरूप धारणिया, भगवानाराम मांझू, हुकामराम खीचड़, गंगाबिश्र भादू, उद्योगपति पतराम लोमरोड़ ,दिल्ली महासभा प्रधान हनुमानसिंह, राणाराम नैण, भागीरथ तेतरवाल, बनवारी लाल भादू, रामनिवास बुधनगर, जगदीश कड़वासरा, सुभाष देहडू, मांगीलाल लेगा, महीराम बेनीवाल,आदि उपस्थित थे।
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