जिंदगी एक सफर है..और सफर में भाग-दौड़ नहीं होती। यह मानना है पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में अंग्रेजी विषय के स्कॉलर रविंदर बिश्नोई का। रविंदर जून 2019 से साइकिल से ही देश को नापने में जुटे हैं। वे साइकिल से अब तक दस हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं।
उत्तर से लेकर दक्षिण के 11 राज्य 3 केंद्र शासित प्रदेश का सफर साइकिल से ही तय किया। हिसार के गांव लांधरी के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले रविंदर का कहना है कि उनके परिजनों को तो ट्रैवलिंग का कांसेप्ट समझ ही नहीं आया। वो फोन करके सिर्फ सेहत के बारे में पूछते हैं। खाना खाया या नहीं जैसे सवाल ही पूछते हैं। रविंदर ने अपनी साइकिल के आगे ‘सेव एन्वायरमेंट’ का बोर्ड भी लगाया हुआ है।
![रविंदर बिश्नोई](https://spiderimg-itstrendingnow-com.cdn.ampproject.org/i/s/spiderimg.itstrendingnow.com/assets/images/2020/03/04/750x506/ravinder-bishnoi_1583312241.jpeg)
रविंदर बिश्नोई - फोटो : अमर उजाला
इन राज्यों का सफर साइकिल से किया
रविंदर जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, दमन-द्वीव, गोआ, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुंचैरी के लगभग 70 से ज्यादा शहरों का सफर साइकिल से तय कर चुके हैं। उनका कहना है कि वह पूरे भारत का सफर साइकिल से तय करना चाहते हैं। अभी तक वह लगभग 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर साइकिल से तय कर चुके हैं।
रविंदर जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, दमन-द्वीव, गोआ, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुंचैरी के लगभग 70 से ज्यादा शहरों का सफर साइकिल से तय कर चुके हैं। उनका कहना है कि वह पूरे भारत का सफर साइकिल से तय करना चाहते हैं। अभी तक वह लगभग 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर साइकिल से तय कर चुके हैं।
पहली साइकिल ट्रिप कसौल से लेह
रविंदर ने बताया कि जून, 2017 को उन्होंने दिल्ली से साइकिल खरीदी। इसके बाद वे बस से कसौल गए। वहां से उन्होंने अपनी पहली साइकिल यात्रा शुरू की। वे साइकिल से लेह गए। इस साइकिल यात्रा ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस यात्रा ने उन्हें जो अनुभव दिए, वे शायद ही जिंदगी में कभी मिले। साइकिल से उन जगहों पर जानने का मौका मिला, जहां बस से या दूसरे वाहन से जाना मुश्किल होता था। उसके बाद वे साइकिल से ही सफर कर रहे हैं।
रविंदर ने बताया कि जून, 2017 को उन्होंने दिल्ली से साइकिल खरीदी। इसके बाद वे बस से कसौल गए। वहां से उन्होंने अपनी पहली साइकिल यात्रा शुरू की। वे साइकिल से लेह गए। इस साइकिल यात्रा ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस यात्रा ने उन्हें जो अनुभव दिए, वे शायद ही जिंदगी में कभी मिले। साइकिल से उन जगहों पर जानने का मौका मिला, जहां बस से या दूसरे वाहन से जाना मुश्किल होता था। उसके बाद वे साइकिल से ही सफर कर रहे हैं।
साइकिल है ट्रैवल फ्रैंडली
रविंदर का कहना है कि साइकिल ट्रैवल फ्रैंडली है। साइकिल को लेकर आप किसी भी संकरी, पहाड़ी, रेगिस्तान सड़कों पर जा सकते हैं। इससे हेल्थ भी बेहतर रहेगी। पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। साइकिल चलाकर उसमें भी सहयोग दे रहे हैं। साइकिल से ना तो प्रदूषण होगा और ना ही आपको ईंधन की चिंता करनी पड़ेगी।
रविंदर का कहना है कि साइकिल ट्रैवल फ्रैंडली है। साइकिल को लेकर आप किसी भी संकरी, पहाड़ी, रेगिस्तान सड़कों पर जा सकते हैं। इससे हेल्थ भी बेहतर रहेगी। पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। साइकिल चलाकर उसमें भी सहयोग दे रहे हैं। साइकिल से ना तो प्रदूषण होगा और ना ही आपको ईंधन की चिंता करनी पड़ेगी।
सफर ही लक्ष्य
रविंदर ने बताया कि जून 2019 में बिना कुछ सोेचे-समझे वो पीएचडी बीच में छोड़कर साइकिल लेकर सफर पर निकल गए। उन्होंने बताया अब सफर ही उनका लक्ष्य है। वे रुकना नहीं चाहते। आज भारत फिर कल कोई और देश। वे कहते हैं कि सफर के दौरान पैसों की जरूरत पड़ती है, उसका भी इंतजाम दोस्त कर लेते हैं। जब उन्हें मैं बताता हूं कि मैं साइकिल से देश की यात्रा कर रहा हूं तो वे पैसे का भी बंदोबस्त कर देते हैं।
रविंदर ने बताया कि जून 2019 में बिना कुछ सोेचे-समझे वो पीएचडी बीच में छोड़कर साइकिल लेकर सफर पर निकल गए। उन्होंने बताया अब सफर ही उनका लक्ष्य है। वे रुकना नहीं चाहते। आज भारत फिर कल कोई और देश। वे कहते हैं कि सफर के दौरान पैसों की जरूरत पड़ती है, उसका भी इंतजाम दोस्त कर लेते हैं। जब उन्हें मैं बताता हूं कि मैं साइकिल से देश की यात्रा कर रहा हूं तो वे पैसे का भी बंदोबस्त कर देते हैं।
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