अक्षय तृतीया पर कुंभ का पूजन व दान अक्षय फल प्रदान करता है। धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार यदि इस दिन नक्षत्र व योग का शुभ संयोग भी बन रहा हो तो इसके महत्व में और वृद्घि होती हैं। इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग के साथ आ रही आखातीज पर दिया गया कुंभ का दान भाग्योदय कारक होगा।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। उनकी साक्षी में किया गया धर्म-कर्म व दिया गया दान अक्षय हो जाता है, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा गया है। आखातीज अबूझ मुहूर्त मानी गई है। अक्षय तृतीया से समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है। हालांकि मेष राशि के सूर्य में धार्मिक कार्य आरंभ माने जाते है, लेकिन शास्त्रीय मान्यता अनुसार सूर्य की प्रबलता व शुक्ल पक्ष की उपस्थिति में मांगलिक कार्य करना अतिश्रेष्ठ हैं।
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वैकुंठ पाने के लिए करें उपाय- वैशाख मास माधव का माह है। शुक्ल पक्ष विष्णु से संबंध रखता है। रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है। धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसे उत्तम योग में अक्षय तृतीया पर प्रातःकाल शुद्घ होकर चंदन व सुगंधित द्रव्यों से श्रीकृष्ण का पूजन करने से वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया से देवशयनी एकादशी तक मांगलिक कार्यों के निम्न तिथियों में शुभ मुहूर्त हैं।
विवाह -
अप्रैल-24, 25, 26, 30
मई- 1, 29, 30
जून- 12, 13, 14, 24, 26, 27, 28
चौल कर्म - अप्रैल- 24, 26, 28
जून- 15
यज्ञोपवित - अप्रैल- 24, 26
गृह प्रवेश - अप्रैल- 24, 28।
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