खेजड़ली में पेड़ों को बचाने के लिए शहीद होने वाले शहीदों की स्मृति में जोधपुर में बासनी ओवरब्रिज के पास बनाए गए शहीद अमृता देवी बिश्नोई पार्क की बदहाली को लेकर स्वयंसेवी संस्थान उत्थान की याचिका पर स्थाई लोक
जोधपुर। खेजड़ली में पेड़ों को बचाने के लिए शहीद होने वाले शहीदों की स्मृति में जोधपुर में बासनी ओवरब्रिज के पास बनाए गए शहीद अमृता देवी बिश्नोई पार्क की बदहाली को लेकर स्वयंसेवी संस्थान उत्थान की याचिका पर स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर ने पार्क को पुन: विकसित करने और पार्क से सम्बन्धित मूलभूल सुविधाएं उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने नगर निगम को 60 दिन की मोहलत दी है।
स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष ओमकुमार व्यास और सदस्य मगनलाल बिस्सा ने अपने आदेश में कहा कि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 45 के तहत नगर निगम का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह उद्यानों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई, जल व प्रकाश की समुचित व्यवस्था करे। इससे लोक स्वास्थ्य स्वच्छता को क्षति नहीं पहुंचे। नगर निगम द्वारा शहीद अमृता देवी बिश्नोई स्मृति उद्यान की उपेक्षा की जा रही है। नगर निगम धारा 45 के तहत अपने कर्तव्य की पालना करने के लिए बाध्य है।
बरसों से वीरान पड़ा है पार्क: शहीद अमृता देवी बिश्नोई स्मृति उद्यान की दुर्दशा को लेकर उत्थान संस्थान के अध्यक्ष सरवर खान की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक के. हैदर ने याचिका दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि बासनी ओवरब्रिज से पाली रोड़ जाने वाले मार्ग पर 16 अगस्त, 1998 को तत्कालीन नगर सुधार न्यास (अब जोधपुर विकास प्राधिकरण) द्वारा तत्कालीन वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री की उपस्थिति में हरे वृक्षों की रक्षार्थ शहीद अमृता देवी बिश्नोई स्मृति उद्यान का लोकार्पण किया गया था।
इसके साथ ही यहां पर पार्क में घूमने आने वाले नागरिकों के लिए फाउंटेन और बैंचे लगाई गई थी। पार्क की स्थापना का उद्देश्य था कि शहर के बाशिंदों को शहर में रमणीक स्थान मिले, ताकि उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से यह लाभदायक रहे। पार्क की नियमित देखरेख नहीं होने से पार्क वीरान होने लगा है।
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