बाड़मेर जिले में विश्नोई समाज का सबसे प्राचीन एवं य श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर विष्णु धाम सोनड़ी में 382 वां श्री...
बिश्नोई समाचार बाङमेर जिले में विश्नोई समाज का सबसे प्राचीन एवं य श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर विष्णु धाम सोनड़ी में 382 वां श्री गुरु जंभेश्वर मेला 23 फरवरी को भरा जाएगा। विश्नोई समाज सेवा समिति सोनड़ी के उपाध्यक्ष हरीराम खिलेरी ने बताया कि बाड़मेर जिले का विश्नोई समाज का सबसे प्राचीन एवं भव्य श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर सोनड़ी 382 वां श्री गुरु जंभेश्वर मेला 23 फरवरी को भरा जाएगा। मेले की पूर्व संध्या शनिवार रात्रि को सोनड़ी के महंत स्वामी हरिदास के पावन सानिध्य में श्री गुरु जंभेश्वर भगवान का जागरण एवं सत्संग होगा। जिसमें विश्नोई समाज साखी के मर्मज्ञ स्वामी कृपाचार्य वाणि धाम चूरू,सहित जांभोलाव संत मंडली भगवान जांभोजी की आरती, साखी भजन कीर्तन की प्रस्तुति देंगे। रविवार को सुबह सोनड़ी के महंत स्वामी हरिदासजी महाराज के सानिध्य में यज्ञ पाहल होगा। जिसमें पर्यावरण प्रेमी घी व नारियल की स्वाह के साथ में आहुतियां देंगे, साथ ही साथ मूक पक्षियों के लिए चुगा भी डालेंगे। भगवान जंभेश्वर मंदिर में 138 वर्ष से प्रज्वलित अखंड ज्योति के दर्शन कर सुकाल की कामना करेंगे। दोपहर एक बजे विश्नोई समाज सेवा समिति सोनड़ी एवं श्री गुरु जंभेश्वर सेवक दल सोनड़ी का खुला अधिवेशन होगा। जिसमें जिला कलेक्टर अंशदीप मुख्य अतिथि होंगे। खुले अधिवेशन की अध्यक्षता एसपी शरद चौधरी करेंगे।
कार्यक्रम में विश्नोई समाज के जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य व्यक्ति समाज की विभिन्न गतिविधियों पर खुला मंथन किया जाएगा। मेले की तैयारियों को लेकर श्री गुरु जंभेश्वर सेवक दल विश्नोई समाज सेवा समिति की अलग-अलग टोलियां बनाकर मंदिर की साफ-सफाई, रंग रोगन, लाइट, पानी अतिआवश्यक सेवाओं की अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपकर कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्राचीन धाम सोनड़ी है जहां प्रतिवर्ष 3 मेले लगते हैं। फागुन अमावस्या, चैत्र अमावस्या, भादवा अमावस्या को इस वर्ष फागुनी अमावस्या मेला 23 फरवरी को भरा जाएगा। मेला में पानी, बिजली, सड़क, यातायात अन्य व्यवस्थाओं को लेकर सेड़वा थानाधिकारी अचल दान चारण के नेतृत्व में पुलिस बल के साथ में श्री गुरु जंभेश्वर सेवक दल एवं विश्नोई समाज सेवा समिति सोनड़ी के सदस्य पूरे मेले के दौरान व्यवस्था संभालेंगे। बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए अमावस्या का व्रत रखने एवं उतारने के लिए लंगर की व्यवस्था रहेगी।
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