जोधपुर. अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में जोधपुर के रवि विश्नोई ने 10 ओवर में 4 विकेट लिए। उन्होंने 30 रन दिए और इसमें 3 मेडनओवर फेंके। फाइनल में रवि विश्नोई ने अपनी लेग स्पिन से बांग्लादेश के टॉप आर्डर के शुरुआती 4 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा। वर्ल्ड कप के 6 मैचों में 10.35 के औसत से सबसे ज्यादा 17 विकेट लिए। रवि जोधपुर के पहले खिलाड़ी हैं, जो अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलने के साथ ही आईपीएल में हैं। किंग्स इलेवन पंजाब ने दो करोड़ में रवि को खरीदा था। पिछले दिनों दैनिक भास्कर ने रवि के माता-पिता से बातचीत की थी। उस बातचीत के प्रमुख अंश-
खेत की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर गेंद फेंकते-फेंकते खिलाड़ी बना: रवि की मां
जोधपुर के बिरामी गांव के निवासी रवि के पिता मांगीलाल शिक्षक हैं तो मां शिवरी देवी गृहिणी हैं। मां शिवरी देवी बोलीं- मुझे तो यकीन ही नहीं था कि रवि का क्रिकेट के प्रति लगाव उसे इस मुकाम तक पहुंचा देगा। वह बचपन से क्रिकेट का दीवाना था। मां कहती हैं कि वह दिनभर क्रिकेट खेला करता था। जब पिता के आने का वक्त होता था तो घर आकर किताबें पढ़ना शुरू कर देता था। शुरू में गांव में खेत में क्रिकेट खेलता था और जोधपुर आए तो गलियों में। बाद में प्रद्धुत सिंह की स्पाटर्न एकेडमी में दाखिला लिया, जहां उसके खेल में निखार आया और उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमें तो यह पता ही नहीं चला कि वह कब खेत की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर गेंद फेंकते-फेंकते लेग स्पिनर बन गया।
टीवी के रिमोट के लिए बहनों से होता था झगड़ा
रवि की बहनें अनिता और रिंकू को इस बात एहसास अब हो रहा है कि बचपन से भाई टेलीविजन पर सिर्फ क्रिकेट क्यों देखा करता था। वे अपना पसंदीदा सीरियल देखना चाहती थीं। इस पर भाई और बहनों में झगड़ा भी हो जाता था। बहनों को इसका हल निकाल लिया, वे जानती थीं कि रवि को दही पसंद नही है, इसलिए वे रिमोट पर दही डाल देती थीं। मजबूरन रवि को वहां से हटना पड़ता था। आज इन बहनों को अपने भाई पर नाज है।
लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का ईनाम मिला
रवि ने घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन के दो इनाम एक ही महीने में मिल गए। दो साल पहले आरसीए एकेडमी में जूनियर के सलेक्शन ट्रायल में पहले रवि को बाहर कर दिया गया। किसी के कहने पर सिलेक्टर्स ने एक और मौका दिया तो पता चला कि लेग स्पिनर में इससे बेस्ट कोई नहीं है। उसी सीजन में रवि ने बीसीसीआई के मैचों में 97 विकेट लिए। राजस्थान टीम से खेलते हुए कूचबिहार ट्रॉफी में 47 विकेट लिए तो वीनू मांकड ट्रॉफी में 22 विकेट लेकर चयनकर्ताओंका ध्यान आकर्षित किया। इस प्रदर्शन की बदौलत रवि को इंडिया अंडर-19 ब्लू टीम में शामिल किया गया। रवि ने चैलेंजर ट्रॉफी में तीन मैचों में छह विकेट लिए। बाद में अंडर-19 ए टीम में शामिल किया गया। इस टीम से रवि ने दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान के खिलाफ तीन मैचों में सात विकेट लिए।
आसान नहीं रहा है रवि का सफर
जोधपुर से 12वीं तक पढ़ाई करने वाले रवि विश्नोई का अंडर-19 वर्ल्ड कप तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। रवि ने जोधपुर की गलियों में टेनिस बॉल के साथ क्रिकेट खेलने की शुरुआत की थी। आठ साल पूर्व जोधपुर में स्पार्टन क्रिकेट अकादमी में वे एक तेज गेंदबाज बनने की ललक लिए पहुंचे थे। वहां के कोच प्रत्युश और शाहरुख ने कुछ दिन बाद उन्हें तेज गेंदबाजी का मोह छोड़ एक स्पिनर बनने का सुझाव दिया। इसके बाद उन्होंने लेग स्पिनर के रूप में अभ्यास शुरू किया। उन्होंने अपनी लेग स्पिन में कई विविधता हासिल की, विशेषकर गुगली और फ्लीपर में महारत हासिल की
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