पंजाब में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा काला हिरण, संख्या में आ रही लगातार गिरावट

जेेेेएनएन, जालंधर। पंजाब का राज्य पशु काला हिरण आवारा कुत्तों के हमलों और बेसहारा पशुओं को रोकने के लिए लगाई गई कंटीली तार के कारण अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। फाजिल्का के अबोहर स्थित वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में वर्षों से लैंड यूज और फसल के पैटर्न में बदलाव ने भी इसके प्राकृतिक निवास स्थान को नुकसान पहुंचाया है। इससे राज्य पशु की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है।
87 काले हिरण मारे गए तीन साल में

  • 30 काले हिरणों की मौत हुई 2019 में अबोहर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में। ज्यादातर आवारा कुत्तों के हमले में घायल हुए।
  • 05 काले हिरणों को वन और वन्यजीव विभाग ने बचाया।
  • 25 काले हिरणों की जान गई 2018 में, 18 को घायलावस्था में बचाया।
  • 42 काले हिरण मारे गए 2017 में, 33 को इलाज से बचाया।
  • 2019 में लगभग 90 फीसद काले हिरणों की मौत आवारा कुत्तोंं के हमलों से हुई।
1989 में मिला राज्य पशु का दर्जा
  • 13 गांवों में निजी भूमि पर फैली है अबोहर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी।
  • 1989 में पंजाब सरकार ने काले हिरण को राज्य पशु के रूप में अधिसूचित किया था।
  • सिर्फ अबोहर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी तक ही सीमित हैं काले हिरण पंजाब में।
  • 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इसका शिकार प्रतिबंधित है।
छह साल में 227 कम हो गए
  • 3273 काले हिरण थे 2017 में की गई गणना के अनुसार पंजाब में।
  • 3500 थी हिरणों की संख्या 2011 की गणना के अनुसार।
मौत के मुख्य कारण
  • आवारा कुत्तों का हमला।
  • सड़क दुर्घटनाएं।
  • पानी के भंडारण टैंक में गिरना।
  • कंक्रीट की नालियों में गिरना।
  • बेसहारा पशुओं को रोकने के लिए लगाई गई कंटीली तार व जाल।
  • लैंड यूज चेंज से प्राकृतिक निवास में घटा।
कंटीली बाड़ से टकरा कर हादसे 
वन्यजीव रेंज अधिकारी अनीता रानी के अनुसार जब कुत्ते हमला करते हैं और उनका पीछा करते हैं, तो हिरण बाड़ से टकरा जाते हैं। इससे उन्हें घातक चोटें आ जाती हैं। सेंक्चुअरी की भूमि मुख्य रूप से स्थानीय बिश्नोई समुदाय के स्वामित्व वाली है।
खासियत
  • 10 से 15 साल होता है आमतौर पर काले हिरण का जीवन काल।
  • 20 से 60 किलोग्राम तक होता है वजन।
  • 35 से 75 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं सींग।
  • 100 से 180 सेमी (छह फीट) तक होती है लंबाई।
  • 26 से 35 किलोग्राम तक होता है वजन।
कृष्णमृग की प्रजाति
काला हिरण कृष्णमृग की प्रजाति है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है। यह भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पाया जाता है।
अखिल भारतीय जीव रक्षक बिश्नोई समाज के प्रदेश अध्यक्ष आरडी बिश्नोई का कहना है कि अगर बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान हो जाता है, तो यह काले हिरणों को बचाने में मुख्य कदम साबित होगा। लगातार राज्य सरकारें बेसहारा पशुओं व जंगली कुत्तों की समस्या का समाधान करने में विफल रही हैं। बेसहारा पशुओं से निजात मिलने पर किसान अपने खेतों में कांटेदार तार नहीं लगाएंगे। इससे काले हिरण मुक्त रूप से आवाजाही कर सकेंगे और उनकी संख्या बढ़ सकेगी। राज्य सरकार गो कर तो लेती है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं कर रही। 
कोबरा वायर की बिक्री पर प्रतिबंध
अबोहर की सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट पूनम सिंह ने कहा कि प्रशासन काले हिरण की सुरक्षा के लिए कदम उठा रहा है। पिछले एक साल से हम ज्यादातर कोबरा वायर को हटाने में सफल रहे हैं। साथ ही वन्यजीव विभाग के साथ हम स्थानीय लोगों को इन तारों के दुष्प्रभाव के बारे में बताकर जागरूकता पैदा कर रहे हैं। कांटेदार तार की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कोबरा वायर में ब्लेड जैसी जाली होती है और हिरणों को इससे चोट लगती है।
बिश्नोई समाज करता है रखवाली
राजस्थान व पंजाब में बिश्नोई समाज के लोग काले हिरण के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं। वे इन्हें बच्चों की तरह इनकी संभाल करते हैं और इसे बड़े सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। 

Post a Comment

और नया पुराने