बिश्नोई समाचार जगदलपुर : करोड़ों रुपए सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ आईएएस बने बस्तर में पदस्थ इस सुपर टैलेंटेंड अफसर ने अपने शहर में ऐसी अनोखी रेस कराई, जिसके बारे में अगर पीएम मोदी जान लेंगे तो वो भी इस युवा आईएएस के जबरा फैन बन जाएंगे।
2009 बैच के आईएएस अफसर समीर विश्नोई को कुछ महीने पहले ही कोण्डागांव जिले की कमान सौंपी गई थी। मोदी की तरह ही सफाईपसंद इस अफसर को छोटे से शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी दिखाई दी। चारों ओर गंदगी देखकर इस युवा अफसर के दिमाग में ऐसा आईडिया आया जिससे न केवल शहर साफ हुआ बल्कि लोग भी सफाई को लेकर अब संजीदा हो रहे हैं। उन्होंने शहर के युवाओं की मदद से कचरा मैराथन कराई। एक दिन पहले कोण्डागांव शहर में हुई यह मैराथन अब शोशल मीडिया पर हॉट टॉक का विषय बनी हुई है।
कलक्टर विश्वनोई ने चर्चा में बताया, इस प्रतियोगिता की खासियत थी शहर के युवाओं का बिना किसी सरकारी तंत्र की मदद के इस आयोजन को अंजाम देना। शहर के लोगों की प्रतियोगिता में शहरवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके पीछे कॉन्सेप्ट था, लोगों को अपने शहर के लिए जागरूक करना। जब वे खुद शहर की सफाई करेंगे तो फिर इसे गंदा करने में भी उन्हें दर्द होगा। हालांकि वे मानते हैं, एक दिन में ही लोगों की सोच को बदलना संभव नहीं परंतु इसकी शुरूआत के लिए पहला कदम बढ़ा दिया गया है। धीरे-धीरे ही सही लोगों की सोच बदलेगी और अपने शहर को लेकर वे जागरुक भी होंगे।
कचरा बिनने दौड़ पड़ा शहर, गली मोहल्ले से नीचली बस्ती तक हुई सफाई
प्रतियोगिता की शुरूआत एनसीसी ग्राउण्ड से सुबह नौ बजे हुई। जैसे ही सिटी बजी प्रतिभागी कचरा बिनने दौड़ पड़े। प्रतिभागियों ने ज्यादा से ज्यादा कचरा इकठ्ठा करने के फेर में बस स्टैण्ड, कांग्रेस भवन रोड, शहर के पॉश इलाके समेत झुग्गी बस्ती इलाके तक का कचरा इकठ्ठा कर डाला और शहर साफ-सुथरा दिखाई देने लगा। प्रतिभागी दौड़-दौड़ कर कचरा इकठ्ठा कर रहे थे पर रेस जीतने प्रतियोगिता स्थल तक वापस भी आना था। प्रतिभागियों के सुविधा के लिए कचरा प्वाइंट भी शहर में बना गए थे, जहां प्रतिभागी अपना कचरा इकठ्ठा कर सकते थे। नियत समय के अंदर सबसे अधिक कचरा इकठ्ठा करने वाले प्रतिभागी को विजेता घोषित किया गया।
400 से अधिक प्रतिभागी, ड़ेढ घंटे में निकाला 750 क्विंटल कचरा
इस मैराथन प्रतियोगिता के लिए लोगों में खासा उत्साह देखा गया। 400 से अधिक प्रतिभागियों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया पर प्रतियोगिता के नियम के तहत 16 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के लोग ही इसमें भाग ले सकते थे। इसलिए 150 प्रतिभागियों को रेस में उतरने का मौका मिला। बाकी प्रतिभागियों ने वालेंटियर बनकर इस अनोखे मैराथन में अपना योगदान दिया। प्रतिभागियों ने मिलकर डेढ़ घंटे में 750 किलो कचरा इकठ्ठा कर दिया। विक्रम कौशिक 11.76 किलो कचरा इकठ्ठा कर विजेता बने, दिनेश मरकाम 11.17 किलो दूसरे स्थान पर व राहुल मानिकपुरी 10.87 किलो कचरा उठाकर तीसरे स्थान पर रहे।
युवाओं ने बनाया नया एप, अब जेब में होगा पूरा शहर
कलक्टर विश्रोई ने बताया, जिन युवाओं ने प्रतियोगिता का आयोजन कराया, उन्होंने मेरा शहर नाम से नया मोबाइल एप बनाया है। इसमें शहर से जुड़ी हर गतिविधियों की जानकारी रहेगी। जल्द ही इस एप का पेंटेंट हासिल किया जाएगा। इसमें कोण्डागांव के होटल, प्रमुख स्थल समेत टूरिस्ट प्लेस की जानकारी होगी। इलेक्ट्रीशियन, पलम्बर, ट्रेव्हल्स समेत अन्य लोगों से भी इसके जरिए संपर्क किया जा सकेगा। इसके अलावा जिला व पुलिस प्रशासन की सूचना व संदेश की भी जानकारी इस एप के जरिए लोग प्राप्त कर सकेंगे। अभी इसका ट्राइल वर्जन बनाया गया है, जल्द ही फाइनल वर्जन भी तैयार कर लिया जाएगा।
तेज तर्रार और यूनिक आइडियाज के लिए जाते जाते हैं विश्वनोई
2009 बैच के इस आईएएस अफसर ने आईआईटी कानपुर से बीटेक की पढ़ाई की है। बेहद कम समय में ही उन्होंनेअपने यूनिक आइडियाज और कॉन्सेप्ट के जरिए राज्य में अपनी अलग पहचान बना ली है। तेज तर्रार कार्यशैली के इस आईएएस ने बीज निगम में रहते हुए सूखे के दौरान बेहतर काम करते हुए पूरे राज्य में नि:शुल्क बीज वितरण का बड़ा काम कर दिखाया। इस दौरान उन्होंने निगम के टेण्डर समेत अन्य लीकेज को बंद करते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई। घटिया बीज सप्लाई करने वाली कंपनी डीआरम श्रीराम कंपनी को पांच साल के लिए बैन करवा दिया। बीज निगम में काम करते हुए उन्हें मुम्बई में एसबीआई की चेयरपर्सन व एमडी अरुंधति राय समेत अन्य प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी में न्यू इंक नेशनल अवार्ड मिला। 2013 में बीजापुर जिला पंचायत सीईओ रहते उन्हें नरेगा में बेहतर काम के लिए सबसे अव्वल जिले का राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है।
करोड़ों रुपए के इंटरनेशनल ऑफर छोड़ बने आईएएस
कानपुर में जन्मे समीर के पिता उच्च स्तरीय शासकीय अधिकारी व शिक्षाविद् थी। शुरू से पढ़ाई में अव्वल समीर आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक में गोल्डमेडलिस्ट हैं। 2002 में उन्होंने रोबोट तकनीक पर शोध कर आधुनिकतम रोबाट तैयार किया, जिसे मॉडल प्रदर्शनी में प्रथम स्थान मिला। 2003 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एसीएम आईपीसीसी कांफ्रेंस का आयोजन किया, उनके नेतृत्व क्षमता को मुंबई की ओबेराय कंपनी ने उन्हें नीति निर्धारण के लिए चुना।
2006 में उन्होंने विश्वस्तर की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक समिति रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन से उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र मिला। उनके शोधपत्र एयरोसोनल इन एटमॉसफियर को रॉयल सोसाइटी की तिमाही जर्नल्स में भी प्रकाशित किया गया। बीटेक के बाद उन्हें यूएसए की प्रिंसटन, स्टेनफोर्ड व शिकागो यूनिवर्सिटी तथा यूके की कैम्ब्रिज व रीडिंग यूनिवर्सिटी समेत कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करोड़ों रुपए के वार्षिक पैकेज पर नौकरी के प्रस्ताव थे। समीर ने इनसे अलग प्रशासनिक सेवा में जाने की राह तय कर ली थी। करोड़ों रुपए के पैकेज को छोड़ उन्होंने 2009 में यूपीएएसी की परीक्षा दी और अपने पहले ही प्रयास में वे सफल हुए।
2009 बैच के आईएएस अफसर समीर विश्नोई को कुछ महीने पहले ही कोण्डागांव जिले की कमान सौंपी गई थी। मोदी की तरह ही सफाईपसंद इस अफसर को छोटे से शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी दिखाई दी। चारों ओर गंदगी देखकर इस युवा अफसर के दिमाग में ऐसा आईडिया आया जिससे न केवल शहर साफ हुआ बल्कि लोग भी सफाई को लेकर अब संजीदा हो रहे हैं। उन्होंने शहर के युवाओं की मदद से कचरा मैराथन कराई। एक दिन पहले कोण्डागांव शहर में हुई यह मैराथन अब शोशल मीडिया पर हॉट टॉक का विषय बनी हुई है।
कलक्टर विश्वनोई ने चर्चा में बताया, इस प्रतियोगिता की खासियत थी शहर के युवाओं का बिना किसी सरकारी तंत्र की मदद के इस आयोजन को अंजाम देना। शहर के लोगों की प्रतियोगिता में शहरवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके पीछे कॉन्सेप्ट था, लोगों को अपने शहर के लिए जागरूक करना। जब वे खुद शहर की सफाई करेंगे तो फिर इसे गंदा करने में भी उन्हें दर्द होगा। हालांकि वे मानते हैं, एक दिन में ही लोगों की सोच को बदलना संभव नहीं परंतु इसकी शुरूआत के लिए पहला कदम बढ़ा दिया गया है। धीरे-धीरे ही सही लोगों की सोच बदलेगी और अपने शहर को लेकर वे जागरुक भी होंगे।
कचरा बिनने दौड़ पड़ा शहर, गली मोहल्ले से नीचली बस्ती तक हुई सफाई
प्रतियोगिता की शुरूआत एनसीसी ग्राउण्ड से सुबह नौ बजे हुई। जैसे ही सिटी बजी प्रतिभागी कचरा बिनने दौड़ पड़े। प्रतिभागियों ने ज्यादा से ज्यादा कचरा इकठ्ठा करने के फेर में बस स्टैण्ड, कांग्रेस भवन रोड, शहर के पॉश इलाके समेत झुग्गी बस्ती इलाके तक का कचरा इकठ्ठा कर डाला और शहर साफ-सुथरा दिखाई देने लगा। प्रतिभागी दौड़-दौड़ कर कचरा इकठ्ठा कर रहे थे पर रेस जीतने प्रतियोगिता स्थल तक वापस भी आना था। प्रतिभागियों के सुविधा के लिए कचरा प्वाइंट भी शहर में बना गए थे, जहां प्रतिभागी अपना कचरा इकठ्ठा कर सकते थे। नियत समय के अंदर सबसे अधिक कचरा इकठ्ठा करने वाले प्रतिभागी को विजेता घोषित किया गया।
400 से अधिक प्रतिभागी, ड़ेढ घंटे में निकाला 750 क्विंटल कचरा
इस मैराथन प्रतियोगिता के लिए लोगों में खासा उत्साह देखा गया। 400 से अधिक प्रतिभागियों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया पर प्रतियोगिता के नियम के तहत 16 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के लोग ही इसमें भाग ले सकते थे। इसलिए 150 प्रतिभागियों को रेस में उतरने का मौका मिला। बाकी प्रतिभागियों ने वालेंटियर बनकर इस अनोखे मैराथन में अपना योगदान दिया। प्रतिभागियों ने मिलकर डेढ़ घंटे में 750 किलो कचरा इकठ्ठा कर दिया। विक्रम कौशिक 11.76 किलो कचरा इकठ्ठा कर विजेता बने, दिनेश मरकाम 11.17 किलो दूसरे स्थान पर व राहुल मानिकपुरी 10.87 किलो कचरा उठाकर तीसरे स्थान पर रहे।
युवाओं ने बनाया नया एप, अब जेब में होगा पूरा शहर
कलक्टर विश्रोई ने बताया, जिन युवाओं ने प्रतियोगिता का आयोजन कराया, उन्होंने मेरा शहर नाम से नया मोबाइल एप बनाया है। इसमें शहर से जुड़ी हर गतिविधियों की जानकारी रहेगी। जल्द ही इस एप का पेंटेंट हासिल किया जाएगा। इसमें कोण्डागांव के होटल, प्रमुख स्थल समेत टूरिस्ट प्लेस की जानकारी होगी। इलेक्ट्रीशियन, पलम्बर, ट्रेव्हल्स समेत अन्य लोगों से भी इसके जरिए संपर्क किया जा सकेगा। इसके अलावा जिला व पुलिस प्रशासन की सूचना व संदेश की भी जानकारी इस एप के जरिए लोग प्राप्त कर सकेंगे। अभी इसका ट्राइल वर्जन बनाया गया है, जल्द ही फाइनल वर्जन भी तैयार कर लिया जाएगा।
तेज तर्रार और यूनिक आइडियाज के लिए जाते जाते हैं विश्वनोई
2009 बैच के इस आईएएस अफसर ने आईआईटी कानपुर से बीटेक की पढ़ाई की है। बेहद कम समय में ही उन्होंनेअपने यूनिक आइडियाज और कॉन्सेप्ट के जरिए राज्य में अपनी अलग पहचान बना ली है। तेज तर्रार कार्यशैली के इस आईएएस ने बीज निगम में रहते हुए सूखे के दौरान बेहतर काम करते हुए पूरे राज्य में नि:शुल्क बीज वितरण का बड़ा काम कर दिखाया। इस दौरान उन्होंने निगम के टेण्डर समेत अन्य लीकेज को बंद करते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई। घटिया बीज सप्लाई करने वाली कंपनी डीआरम श्रीराम कंपनी को पांच साल के लिए बैन करवा दिया। बीज निगम में काम करते हुए उन्हें मुम्बई में एसबीआई की चेयरपर्सन व एमडी अरुंधति राय समेत अन्य प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी में न्यू इंक नेशनल अवार्ड मिला। 2013 में बीजापुर जिला पंचायत सीईओ रहते उन्हें नरेगा में बेहतर काम के लिए सबसे अव्वल जिले का राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है।
करोड़ों रुपए के इंटरनेशनल ऑफर छोड़ बने आईएएस
कानपुर में जन्मे समीर के पिता उच्च स्तरीय शासकीय अधिकारी व शिक्षाविद् थी। शुरू से पढ़ाई में अव्वल समीर आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक में गोल्डमेडलिस्ट हैं। 2002 में उन्होंने रोबोट तकनीक पर शोध कर आधुनिकतम रोबाट तैयार किया, जिसे मॉडल प्रदर्शनी में प्रथम स्थान मिला। 2003 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एसीएम आईपीसीसी कांफ्रेंस का आयोजन किया, उनके नेतृत्व क्षमता को मुंबई की ओबेराय कंपनी ने उन्हें नीति निर्धारण के लिए चुना।
2006 में उन्होंने विश्वस्तर की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक समिति रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन से उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र मिला। उनके शोधपत्र एयरोसोनल इन एटमॉसफियर को रॉयल सोसाइटी की तिमाही जर्नल्स में भी प्रकाशित किया गया। बीटेक के बाद उन्हें यूएसए की प्रिंसटन, स्टेनफोर्ड व शिकागो यूनिवर्सिटी तथा यूके की कैम्ब्रिज व रीडिंग यूनिवर्सिटी समेत कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करोड़ों रुपए के वार्षिक पैकेज पर नौकरी के प्रस्ताव थे। समीर ने इनसे अलग प्रशासनिक सेवा में जाने की राह तय कर ली थी। करोड़ों रुपए के पैकेज को छोड़ उन्होंने 2009 में यूपीएएसी की परीक्षा दी और अपने पहले ही प्रयास में वे सफल हुए।
एक टिप्पणी भेजें