निस्वार्थ भाव से जो कर्म करेगा, उसकी महानता हर समय याद रखी जाएगी: स्वामी सच्चिदानंद
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राजस्थान बिश्नोई समाचार जालोर ओमप्रकाश डारा साचौर रावतसर डांगरा में जंभेश्वर मंदिर में आयोजित जांभाणी हरिकथा के दूसरे दिन स्वामी सच्चिदानंद आचार्य ने कहा कि मनुष्य वर्ण से नहीं कर्म से महान बनता है। वह चाहे किसी कुल में जन्म ले,परन्तु कर्म करके वह महान बन सकता है। निस्वार्थ भाव से जो कर्म करेगा उसकी महानता हर समय याद रखी जाएगी। वही स्वामी ने कहा कि जीवन में संयम नैतिक मूल्य के साथ ईश्वर भक्ति से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मानव को संतों की तरह संयमित जीवन से अपने को ईश्वर भक्ति में लीन करने की बात कहीं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बिश्नाई समाज के लोग मौजूद थे।
बालकोंका संस्कार मां के गर्भ में से शुरू होता है:कथाके दूसरे दिन स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि कि बालकों का संस्कार मां में गर्भ में से शुरू होते हैं। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान मां जो सुनती है,बोलती है देखती है। ऐसा ही संस्कार गर्भ में पल रहा बालक धारण करेगा। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान मां को अपने बच्चे को संस्कारवान बनाने के लिए धार्मिक एवं शिक्षाप्रद ज्ञान अर्जित करे।
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