राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर रामनिवास हांंणिया जोधपुर श्री जम्भेश्वर मंदिर विष्णु विहार पहाड़ गंज में चल रही सात दिवसीय संगीतमय जाम्भाणी हरी कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस पर कथा वाचक स्वामी राजन प्रकाश जाम्भा धाम ने जम्भेश्वर जन्म महोत्सव और गुरुदेव की बाल लीला का वर्णन किया।
उत्तम कुली का उत्तम न होयबा। कारण क्रिया सारू यानी गुरू माहराज ने कहा कि उतम घर में जन्म लेने उतम नही होता। उतम अपने क्रमो से बनता। कथा के द्वारा स्वामी राजन प्रकाश ने जम्भेश्वर भगवान् द्वारा नागौर के खेम नारायण पुरोहित को बताये गऐ प्रथम शब्दवाणी को विस्तार से बताया।
जम्भदेव जी सात वर्ष तक मौन अवस्था में रहे । उनको बुलवाने के प्रयास में माता पिता ने जब उपचार के लिए एक प्रसिद्ध पुरोहित से उपाय करवाया तो पुरोहित द्वारा रखे गये 108 दीपक में से जब एक भी जल नहीं पाया तो जम्भदेव जी ने उठ कर एक कच्चे सूती धागे को कच्चे घड़े से बांध कर पास ही में एक कुंए से जल निकाला व् वही जल सब दीपों में डाल कर चुटकी से दीपक जला दिए । यह चमत्कार देखकर पुरोहित नतमस्तक होकर सन्मार्ग सम्बंधी बात पूछने लगा । तब यह गुरु महिमा प्रथम शब्द श्री जम्भदेव जी ने उच्चरित किया ।
कथा में अजमेर से स्वामी शिवज्योतिशानंद जी वह विष्णु धाम तालछापर के अधिष्ठाता स्वामी रघुर्वदयाल जी आचार्य स्वामी सुन्दर दास जी स्वामी गोपाल दास जी एव अनेक भक्त जन वह भक्त जन कथा का रस पान करने पहुचे।
उत्तम कुली का उत्तम न होयबा। कारण क्रिया सारू यानी गुरू माहराज ने कहा कि उतम घर में जन्म लेने उतम नही होता। उतम अपने क्रमो से बनता। कथा के द्वारा स्वामी राजन प्रकाश ने जम्भेश्वर भगवान् द्वारा नागौर के खेम नारायण पुरोहित को बताये गऐ प्रथम शब्दवाणी को विस्तार से बताया।
जम्भदेव जी सात वर्ष तक मौन अवस्था में रहे । उनको बुलवाने के प्रयास में माता पिता ने जब उपचार के लिए एक प्रसिद्ध पुरोहित से उपाय करवाया तो पुरोहित द्वारा रखे गये 108 दीपक में से जब एक भी जल नहीं पाया तो जम्भदेव जी ने उठ कर एक कच्चे सूती धागे को कच्चे घड़े से बांध कर पास ही में एक कुंए से जल निकाला व् वही जल सब दीपों में डाल कर चुटकी से दीपक जला दिए । यह चमत्कार देखकर पुरोहित नतमस्तक होकर सन्मार्ग सम्बंधी बात पूछने लगा । तब यह गुरु महिमा प्रथम शब्द श्री जम्भदेव जी ने उच्चरित किया ।
कथा में अजमेर से स्वामी शिवज्योतिशानंद जी वह विष्णु धाम तालछापर के अधिष्ठाता स्वामी रघुर्वदयाल जी आचार्य स्वामी सुन्दर दास जी स्वामी गोपाल दास जी एव अनेक भक्त जन वह भक्त जन कथा का रस पान करने पहुचे।
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