विदेशी पर्यटको ने बिश्नोई ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण किया

राजस्थान बिश्नोई समाचार बाङमेर सुरेश ढाका धोरीमन्ना क्षेत्र के नेङीनाडी गडरा गांव मे विदेशी शैलानी बुधवार शाम को पहुचे। एक तरफ सुर्य देव अस्त होने कि ओर थे तभी महमानो ने एक छोटे से बिश्नोई बाहुलीय गांव में कदम रखे। ग्रामीण क्षेत्रो में नही होटल थी नही रेस्टोरेंट अब विदेशी मेहमानों को बङी समस्या हो गयी। विदेशी लोग अग्रेजी भाषा का प्रयोग कर थे। ग्रामीण क्षेत्रो में मारवाङी भाषा तथा हिन्दी भाषा का बोल बाला होता है। दोनो एक दुसरे कि भाषा को समझ नही पा रहे थे।
बिश्नोई समाज के लोगो का क्षेत्र होने पर वो बङे खुश हो गये। उन्हे खेजङली का घटना क्रम पता था। गाँव में जब विदेशी मेहमान गये तो गाँव के बच्चे यू पीछे हो गये जेसे खेल दिखाने वाले मदारी के पीछे लग जाते है। जैसे कोई अजीब प्राणी आ गया हो। उन्होने किसनाराम बिश्नोई के घर रात भर रुकने का फेसला किया। सुबह उन्हे समाज के बङे बुढे बिश्नोईजन से बात करने का मौका मिला।
उन्हे गंगाराम बिश्नोई ने खेजङली जोधपुर कि पूरी कहानी तथा बिश्नोई समाज से जुङी हर जानकारी बताई।

इनका कहना
किसनाराम बिश्नोई के पुत्र Er. रामजीवन बिश्नोई द्वारा बताई हुई बाते।
मेरे लिए ये कोई नया अनुभव नहीं था मै बहुत बार विदेशियों से मिला हूँ और कम से कम इन्हें मिला के 8 देशों में मेरे ऐसे मित्र है जिनसे व्यक्तिगत मिला हूँ सिर्फ मिला ही नहीं साथ में कुछ वक़्त भी बिताया है लेकिन इन विदेशी मेहमानों के मेरे घर पर आने से जो उत्साह गाँव वालों और घर वालों में था वो मेरे लिए नया था क्योंकि घर वालों ने पहले कभी अंग्रेज टीवी कंप्यूटर की स्क्रीन से बहार नहीं देखा था ना पहले कभी अंग्रेज गाँव में आये ना घर वाले कभी गाँव से बाहर गये तो उन्होंने घर आये अंग्रेजी मेहमानों के साथ दिन और रात बिताया उनका रहन-सहन, खान-पान और पहनावे के बारे में जाना या यू कहे पहले जिनको सिर्फ स्क्रीन में देखा था उनको अब हकीकत में बाल से खाल तक को छूकर देखा। जितना उत्साह Excitement गाँव और घर में उतना ही उत्साह उन अंग्रेज मित्रों में था उन्होंने भी किसी देशी अंदाज को try किया बिना नहीं छोड़ा खूब एन्जॉय किया गाँव की लाइफ को वो बता रहे थे की बिश्नोई गाँव और घर में रहकर हमे इंडिया घुमने का सपना सच होने जेसा अनुभव हो रहा है।

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