हरियाणा बिश्नोई समाचार फतेहाबाद बिश्नोई धर्म के 531वें स्थापना दिवस के अवसर पर गुरु जम्भेश्वर मंदिर मे आयोजित विराट जांभाणी हरिकथा के तीसरे दिन स्वामी राजेंद्रानंद महाराज ने कथा में आए हुए धर्मप्रेमियों को गो सेवा का महत्व विस्तारपूर्वक बताया। स्वामी राजेंद्रानंद ने कहा कि गौ मां की निष्ठा से सेवा करने वाला मनुष्य अपने जीवन मे कभी भी दुखी विचलित नहीं होता।
जीवन मे गाय की सेवा करने से मनुष्य के सभी विकार दूर हो जाते है। जीवन मे अहंकार रुपी रावण का भी गाय की सेवा से नाश होता है। गो मां को कामधेनू इसलिये कहा जाता है क्योंकि गो सेवा करने वाला अगर अपनी मां से कोई भी मुराद मांगता है तो वह मां उसकी मुराद अवश्य पूरी करती है। गो मां के दूध को अमृत तुल्य बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि भैंस का दूध तो दूध है बकरी का दूध पानी है और गाय का दूध तो अमृत तुल्य माना गया है। जितने गुण गाय मे हैं उतने गुण किसी भी पशु मे नहीं है। इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि प्रत्येक मनुष्य गाय की सेवा करे। गाय के अंदर 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास है। लेकिन विडंबना है कि पुरातन काल मे पूजा की जाने वाली मेरी गो मां की आज कचरा पॉलिथीन खाने को मजबूर है। सोचने की और गहन चिंतन की जरूरत है कि आज लोग अपने घरों मे मंहगें कुत्ते पालना तो पसंद करते हैं लेकिन गाय मां को अपने घर मे आश्रय देना कोई विरला ही पसंद करता है।
एक टिप्पणी भेजें