हरियाणा बिश्नोई समाचार फतेहाबाद बिश्नोई धर्म के 531 वें स्थापना दिवस के अवसर पर सिरसा रोड स्थित श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर परिसर मे चल रही विराट जम्भाणी हरिकथा के पांचवे दिन कथावाचक स्वामी राजेन्द्रानंद ने कहा कि केवल भौतिक सुख साधनों से उन्नति, शांति और मुक्ति नहीं है। गाय मां की सेवा हम पुण्य कर्म के लिये तो करते ही है। लेकिन गाय की सेवा
करना हमारा राष्ट्रधर्म भी है और हमारा कर्तव्य भी है। हमें अपने दायित्व बोध को समझने की जरुरत है। गाय ¨हदू संस्कृति की प्रतिनिधि है, वह संस्कृति जिसके समक्ष सभ्यता बौनी नजर आती है। गाय की सेवा करने वाला व्यक्ति कभी रोगी नहीं होता। पुरातन समय में लोग इसलिए ही बीमार नहीं होते थे, क्योंकि वह गाय मां की सेवा, पालन पोषण करते थे। उस समय दूध और पूत बेचना अपराध माना जाता था। दूध पानी की भांति सहज उपलब्ध हो जाता था। उस समय संस्कारवान लोग थे। कथा में आचार्य भागीरथदास आचार्य भी पधारे। स्वामी ने कहा कि आज विज्ञान का युग है। आज के बच्चों के सस्कारों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें दिनचर्या का कुछ समय अपने बच्चों को देना चाहिए। हमें देखना चाहिए कि हमारा बच्चा कही भटक तो नहीं रहा। कही कुविचार तो मेरे बच्चों के मन में नहीं आ रहे। अगर अब नहीं संभले तो समय निकल जाएगा।
हमारे युवा अगर संस्कारवान होंगे तो देश के विकास मे भी गति आएगी। मंच के माध्यम से स्वामी ने समाज और परिवारों को एकजुट रहने का सेदेश दिया। उन्होने कहा कि हमे छोटी छोटी बातों पर आपस मे संबंध विच्छेद नहीं करने चाहिए जो परिवार और जो समाज एकजुट रहता है। वह जीवन में हर बाधा को हंसते हंसते पार कर लेता है। हमें अपने माता पिता की सेवा करनी चाहिए। अगर हमने अपने माता पिता की सेवा नहीं की। अगर हम अपने बड़ों का आदर नहीं कर रहे तो हमारा किसी तीर्थ या मंदिर में जाना निष्फल है। कथा में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की धर्मपत्?नी जसमा देवी भी विशेष रूप से पधारे। मंदिर में चल रही कथा में आरती के बाद प्रशाद वितरण क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी और भिरडाना गोशाला के अध्यक्ष प्रेम की और से किया गया।
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