जो धैर्य से कार्य करता है, वही व्यक्ति अपने जीवन में सुखी है - स्वामी सच्चिदानन्द

राजस्थान बिश्नोई समाचार जालोर मांगीलाल जाणी सांचौर उपखंड क्षेत्र
 के डेडवा ग्राम में स्थित जम्भेश्वर मंंदिर में सात दिवसीय जम्भसार कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ मंगलवार को कथावाचक स्वामी सच्चिदानन्द महाराज के सानिध्य में हुआ। आयोजित कथासार के पहले दिन स्वामी ने बताया कि मुक्ति के लिए कई तीर्थ यात्रा एंव मंदिरों में घुमने फि रने से नही मिलेगी। अपने घर में ही अलसुबह स्नान करके भगवान जम्भेश्वर द्वारा बताये गये 120 शब्दों का पाठ करके विष्णु का नाम सुमरन करने को मोक्ष की प्राप्ती होती है। उन्होने कहा कि कलयुग में धैर्य सबसे बड़ा सुख है, जो धैर्य से कार्य करता है वही व्यक्ति अपने जीवन में सुखी है।
उन्होने कहा कि वर्तमान में  बिश्नोई समाज भगवान जाम्भोजी के द्वारा बताया गये 29 नियमों कि पालना पूर्ण रूप से नही कर रही है। विशेषकर से युवा वर्ग समाज में दिनोंदिन कई प्रकार के नशे के आदी हो रही है। ये समाज के लिए घातक सिद्ध होगा। स्वामी सच्चियानंद से भगवान जम्भेश्वर के बताये गये उन्नतीस नियमों पर चलकर मानव जीवन को धन्य करने की बात कही। वहीं उन्होंने पहले दिन गुरू जम्भेश्वर की लीला के बारे में वर्णन करते हुए बताया कि विश्नोई पंथ के संस्थापक भगवान जम्भेश्वर जी महाराज 1451 में  विष्णु का साक्षात अवतार माना जाता है। वह युग भक्ति आन्दोलन का था । वहीं जाम्भोजी राजस्थान में जहां अवर्तीण हुए थे वह जोधपुर के पास की नागौर पटटी में पडऩे वाला पीपासर नामक गांव था। वहीं उन्होंने बताया कि जाम्भोजी ने बिश्नोई समाज की स्थापना 1542 की। जाम्भोजी की कीर्ति चारों और फेल गई और अनेक लोग उनके पास आने लगे व सत्संग का लाभ उठाने लगे। वहीं जाम्भोजी ने हर वर्ग के लोगो की मदद की फिर उन्होनें समराथल धोरे पर एक विराट यज्ञ का अयोजन कर व 29 नियमों की दीक्षा एवं पहल देकर विश्नोई धर्म की स्थापना की। वहीं स्वामी ने बताया कि जाम्भोजी ने मनुष्य को जीने के लिए नियमों के अनुसार जीवन यापन की नसीहत दी थी। इस असवर पर करावाड़ी मंहत कृपाचार्य महाराज, पूर्व सरंपच रामावतार मांजू, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पुनमाराम खिचड़, सोहनलाल सारण, प्रहलादराम जाणी, रामकिशन गुरू, गोरधन बागड़वा, सुजानाराम खिलेरी, ओमप्रकाश बागड़वा, शैतानङ्क्षसह सारण, रामलाल बेनिवाल, भागचन्द गुरू, सुरेश खिलेरी, मोहनलाल बागड़वा, अशोक खिलेरी, बिरबल खिचड़, अशोक गुरू, शैतान बेनिवाल, बुधाराम बागड़वा, जगदीश बागड़वा सहित बड़ी संख्या में बिश्नोई समाज के लोग मौजूद थे। 

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