स्वामी ने कहा कि मनुष्य वर्ग से नहीं बल्कि कर्म से महान बनता है। चाहे आदमी किसी भी कुल मे जन्म ले ले परंतु कर्म अच्छे कर्मों से वह महान बन सकता है। निस्वार्थ भाव अपने चेहरे व पहनावे से नहीं ब्लकि कर्म से जाना जाता है। कथा प्रसंग के दौरान कृष्ण की जन्म लीला सुनाकर सभी को आनंद से भाव विभोर करते हुए कहा कि कृष्ण चरित्र को जीवन मे उतारकर मनुष्य अपना जीवन सफल बना सकता है।
स्वामी ने कहा कि सांसारिक जीवन मे तीन चीजें मिलना अत्यंत दुर्लभ है। पहला मानव शरीर जोकि चौरासी लाख योनियों मे भटकने के बाद प्राप्त होता है। वर्तमान में जैसा कर्म करोंगे वैसा ही फल पाओगे। स्वामी ने बताया कि परम पिता परमात्मा परमेश्वर की भक्ति करके ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है।
मनुष्य जीवन को व्यर्थ गंवाने की बजाए सांसारिक कार्य के साथ भक्ति मे लगाकर बिताना चाहिए। भूल कर भी अगर गलती या पाप हो जाए तो सत्संग करने से मिट जाता है। भगवान के सत्संग में आना समय के अभाव के चलते आना कठिन है लेकिन परिणाम सुंदर है।
इस अवसर पर संत सुखदेव मुनि, बिश्नोई सभा अध्यक्ष भूप ¨सह गोदारा, प्रेम, अनिल ज्याणी, जय¨सह खिचड़, ओपी बिश्नोई, सतीश बिश्नोई, विनोद काकड़ आदि उपस्थित रहे।
एक टिप्पणी भेजें