निस्वार्थ भाव से जो कर्म करेगा, उसकी महानता हर समय याद रखी जायेगी - स्वामी सच्चिदांनद

राजस्थान बिश्नोई समाचार जालोर मांगीलाल जाणी  सांचौर डेडवा ग्राम में स्थित गुरू जम्भेश्वर साथरी पर जम्भसार ज्ञान यज्ञ कथा महोत्सव के दुसरे दिन स्वामी सच्चिदांनद महाराज ने कहा कि मनुष्य वर्ण से नही कर्म से महान बनता है वह चाहे किसी कुल में जन्म ले परन्तु कर्म करके वह महान बन सकता है। निस्वार्थ भाव से जो कर्म करेगा उसकी महानता हर समय याद रखी जायेगी। वही स्वामी ने कहा कि जीवन में सयम व नैतिक मूल्य के साथ ईश्वर भक्ति से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मानव को संतो की तरह सयमित जीवन से अपने को ईश्वर भक्ति में लीन करने की बात कही। वहीं उन्होंनेे कहा कि संगति के परिणाम स्वरूप रंग आता है और यह रंग दो प्रकार स्वरूप रंग आता है । भगवान श्री जाम्भोजी की वाणी में कहे गये है एक दुनिया का रंग और दुसरा धर्म का रंग है। वहीं दुनिया के रंग में चराचर जंगत रगा हुआ है व आदर्श के योग उन्हीें का जीवन है जिसका धर्म के रंग में रंग चुका है। यह एक ऐसा रंग है जो युक्ति के साथ मुक्ति को प्रधान करने वाला है। इस अवसर पर पूर्व प्रधान वर्षा बिश्नोई, गंगाराम पुनिया, पीराराम धायल, सोहनलाल सारण, सुजानाराम सारण, भवरलाल कड़वासरा, रामावतारा मांजू, कानाराम बांगड़वा, पूनमाराम गुरू, भेराराम बांगड़वा, किशनाराम खीचड़, हीराराम गोदारा, रामलाल बेनिवाल, चन्दूराम खिलेरी, सुनिल साहू सहित बिश्नोई समाज के लिए गणमान्य लोग उपस्थित थें।
बालकों का संस्कार मां के गर्भ में से शुरू होता है - कथा के दुसरे दिन स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि कि बालकों का संस्कार मां में गर्भ में से शुरू होते है। उन्होने कहा कि गर्भाव्यस्था के दौरान मां जो सुनती है, बोलती है देखती है। ऐसा ही संस्कार गर्भ में पल रहा बालक धारण केरेगा। ऐसे में गर्भाव्यस्था के दौरान मां को अपने बच्चे को संस्कारवान बनाने के लिए धार्मिक एंव शिक्षापद्र ज्ञान अर्जित करने का अहवान किया गया। उन्होने कहा कि टीवी व सोशल मीडिया से दुर रहकर अपने बच्चों के भविष्य के दुष्प्रभावों से दुर रहने कि बात कही। 
राजस्थान बिश्नोई समाचार संवाददाता मांगीलाल जाणी  सांचौर  
वहीं उन्होंने बालकों को उच्च शिक्षा के साथ साथ संस्कारवान भी बनाये। समाज के साथ बैठना, सत्यंग में जाना व धार्मिक कार्य में भेजकर संस्कारवान बनाये। स्वामी ने कहा कि आज के युवा गुरू महाराज जम्भोजी द्वारा समाज के लिए बनाई आचांर सहिता का पालना करने में रूची कम रख रहे है। जो आने वाले समय में घातम सद्धि होगा। उन्होने बिश्नोई समाज को प्रहलाद पंथी बताते हुए कहा कि भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद के वचनों में बंधकर कलयुग में ठाकुर लोहट के घर भगवान जम्भेश्वर के रूप में अवतार लेकर कई जीवों का उद्वार किया। 
होली का पाहल समाज में एकता का सुत्र -  स्वामी सच्चिदांनद ने कथा के दौरान कहा कि होली पर्व पर बिश्नोई समाज में पाहल का आयोजन किया जाता है। यह पाहल बिश्नोई समाज का एकता में बांधे रखने का सुत्र है। उन्होने कहा कि बदलते जमाने के अनुसार समाज आज राजनिति का शिकार हुए है। उनहोने कहा कि समाज व धार्मिक कार्य राजनिति में नही जोडऩे का अहवान किया। उन्होने कहा कि समाज राजनिति का शिकार होने पर होली के पाहन पर कई भागों में बंट गयें है। यह समाज के लिए बुरा संकेत है। उन्होने समाज के लोगों सं अहवान किया कि होली के पाहल पर हर गांव में एक मंच पर पाहल बनाकर समाज में एकता बनायें रखें।

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