घमण्डिया गांव में श्रीगुरू जम्भे़श्वर जी सबदवाणी पर संगोष्ठी-सत्संग कार्यक्रम आयोजित

जस्थान बिश्नोई समाचार संजय बिश्नोई घमण्डिया श्रीगंगानगर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की श्रीगंगानगर शाखा के तत्वाधान में श्रीगुरू जम्भावाणी जन जागृति मंच, श्रीगंगानगर द्धारा रविवार को बिश्नोई मंदिर घमण्डिया में बिश्नोई पंथ प्रर्वतक श्रीगुरू जाम्भो जी की वाणी सबदवाणी में निहित उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने व पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने हेतु चलाये गये अभियान के तहत संगोष्ठी व सतसंग कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ जम्‍भेश्‍वरजी की स्‍तुति मंगल आरती गायन से हुआ। कार्यक्रम अ.भा बिश्नोई महासभा की स्थानीय शाखा के जिलाध्यक्ष श्री सुभाष कड़वासरा की अध्यक्षता तथा श्रद्धेय संत श्री बुधराम जी लोहमरोड़ के सान्निध्य में एडवोकेट श्री राजाराम थालोड़ ने मंच संचालन करते हुए श्रीगुरू जम्भवाणी जन जागृति मंच के लक्ष्य एवं उपलब्धिीयों से अवगत करवाया। तदोपरांत श्रद्धेय संत श्री बुधराम जी लोहमरोड़ जी ने प्रवचन दिये एवं जांभाणी परम्परा का अनुसरण करने का अनुरोध किया। अ.भा.बिश्नोई महासभा की स्थानीय शाखा के जिलाध्याक्ष श्री सुभाष कड़वासरा ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, आडम्बरों, देखा-देखी परंपरा के अनुसरण को त्याग करने एवं समाज में बढ रही नशा एवं अपराधवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए इनका त्याग करने एवं श्रीगुरू जांभोजी की शिक्षाएं अपनाने तथा वाद-विवादों का त्याग करने व बेहतर आपसी संवाद कायम करने की अपील की व पर्यावरण एवं जीवरक्षा करने का निवेदन करते हुए सबदवाणी के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार एवं मनन करने की आवश्यक्‍ता बतलार्इ व श्रीगुरू जांभोजी के बतलाये धर्म-मार्ग व 29 नियमों की आचार संहिता की पालना करने के प्रयास करने का निवेदन किया । वक्ता डॉ. मघु बिश्नोई ने सबदवाणी के सबदों का उदाहरण देते हुए नाते-रिश्तों  की मिथ्यवता, जगत की नश्‍वरता, मृत्यु की अनिवार्यता, गोवळवास, जीव व जीवआत्मा के संबध में बताया व मानव जीवन के दुखों के निवारण एवं मोक्ष प्राप्ति हेतू विष्णु नाम स्मरण अनिवार्य बताते हुए सबदों का प्रमाण देते हुए परमतत्व आदि विष्णु की सर्वव्यापक्‍ता की बात बतायी उन्होनें उपस्थित मातृशक्ति से अपने बच्चों को जांभाणी संस्कारों की शिक्षा देने का अनुरोध किया व सभी से नशावृति से दुर रहने की अपील करते हुए प्रतिदिन स्नान करने संबधी नियम पर भी विचार व्यक्त किये। श्री हंसराज थोरी ने बिश्नोंई पंथ का सामान्य परिचय प्रस्तुत किया एवं श्रीगुरू जांभोजी के अवतार लेने के कारणों सहित तत्कालीन परिस्थितयों पर प्रकाश डाला एवं उन्होनें बताया कि श्रीगुरू जांभोजी द्धारा तत्कातलीन समाज में व्याप्‍ता जोग के नाम पर पाखंड, धर्म के नाम पर पाखंड जैसे मुर्तिपुजा, र्ती‍थ-यात्रा, कर्मकांड, आडम्बर, भुत-प्रेत तथा इतर देव-पूजा आदि की कड़ी भर्तसना एवं निंदा की गयी थी परन्तु् आज हम बिश्नोई जन पुन: उसी मार्ग पर अग्रसर हो रहे है जिस मार्ग पर चलने से हमें श्रीगुरू जांभोजी ने अवरूद्ध किया था।
कई सबदों के माध्यम से समाज में व्याप्‍त पाखंड, आडम्बर पर प्रहार करते हुए उन्‍होनें 90 नबंर सबद की व्‍याख्‍या करते हुए संभावित पाखंडो से दुर रहने का अनुरोध करते हुए सबदवाणी के उपदेशों एवं 29 नियमों को दैनिक जीवन में धारण करने की भी अपील की एवं वैज्ञानिक शिक्षा की और रूज्ञान बढाने का अनुरोध किया। एडवोकेट राजाराम थालोड़ ने बिश्नोई पंथ की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कळश मंत्र, पाहळ मंत्र की व्याख्या प्रस्तुत की एवं सबदवाणी अनुसार श्रृष्टि रचना पर भी प्रकाश डाला। श्री रामगोपाल तरड़ ने विभिन्न  सबदों की व्याख्या प्रस्तुत की एवं भक्त श्री प्रहलाद जी द्धारा श्री आदि विष्णु के प्रति दृढ आस्था एवं सर्मपण भाव से की गयी भक्ति का वर्णन किया गया। वाणी अनुसार अवतारवार की अवधारणा की व्याख्या प्रस्तुत की गयी व आदि विष्णु की विभुतियों का भी वर्णन किया साथ ही उन्होनें कहा कि प्रत्ये‍क बिश्नोई को सम्‍पूर्ण विश्‍व के कल्‍याण व हित एवं पर्यावरण के शुद्धिकरण के लिए शुद्ध- भाव एवं प्रेम-पूर्वक जांभाणी परंपरा अनुसार नित्य हवन आवश्यक रूप से करना चाहिए। श्री संतकुमार पंवार ने सबदवाणी के सबदों व मंत्रों के अनुसार विष्णु-स्‍मरण करने से होने वाले लाभ एवं नहीं करने के फलस्वरूप उतपन्‍न होने वाली बाधाओं का उल्लेख किया एवं मोक्ष की प्राप्ति हेतु हर समय आदि परमतत्व श्री विष्णु जी का स्मरण करने की बात कही। श्री पृथ्वीराज खीचड़ अध्यापक ने सबदवाणी के प्रति विचार व्यक्त करते हुए इसके पाठन, चिंतन, मनन करने की बात कही व साथ ही उन्होनें श्रीगुरू जाम्भेाजी की सबदवाणी एवं दर्शन के प्रचार हेतु मौजुदा धर्म प्रचारकों के सुप्रशिक्षित होने की आवश्यक्‍ता बताई। श्री हनुमान गोदारा ने सबदवाणी में निहित मुल्यों को जीवन में धारण कर जीया न जुगती व मुआ न मुगती की बात कही एवं वैज्ञानिक नियमों पर आधारित 29 धर्म नियमों की पालना करने की अपील की। श्री राधेश्याम सावंक भुतपूर्व थानेदार, संजय सहारण ने भी सबदवाणी पर अपने सुविचार प्रस्तुत किये। इस अवसर पर सर्वश्री मनीराम गोदारा, पृथ्वीराज तरड़, राजेन्द्र डेलू, ओमप्रकाश तरड़, जगदीश गोदारा, सुंदर गोदारा, गोपीराम चांगड़, बुधराम ज्याणी, विनोद बेनिवाल, पप्पु्राम सिहाग सहित भारी संख्या में समाज के महिला-पुरूष, बच्चे उपस्थित थे। उपस्थित जन ने बहुत ही रोचकता से कार्यक्रम को सुना एवं श्रीगुरू जांभोजी के बतलाये मार्ग पर चलने एवं सबदवाणी का मनन करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान साखी व भजन गायन भी किया गया। आयोजन में सर्व श्री राजू डेलू, विकास गोदारा, श्रीभगवान गोदारा सहित समस्त ग्रामवासियों का सहयोग रहा। सभी ने मुक्त कंठ से कार्यक्रम की प्रसंशा की एवं समय-समय यह कार्यक्रम बार-बार आयोजित करने की मांग की। अ0भा0 बिश्नोई महासभा की स्थानीय शाखा के जिलाध्यक्ष श्री सुभाष कड़वासरा एवं मंच के सदस्यों द्धारा सभी का आभार प्रकट किया गया। ज्ञात्वय रहे कि अखिल भारतीय विसनोई महासभा शाखा, श्रीगंगानगर द्धारा, श्री गुरू जांभोजी की वाणी के प्रचार-प्रसार व सबदवाणी में निहित शिक्षाओं, उपदेशों, नितियों को जानने व समझने के साथ ही इस पर मनन करने व इसके समाज में अधिकाधिक प्रचार-प्रसार तथा 29 धर्म-नियमों की पालना के प्रयास करने, पर्यावरण, जीव संरक्षण हेतु चेतना लाने तथा समाज में दिनों-दिन बढ रही नशा की आदत, कुरीतियों, भ्रांतियों, पाखण्ड, आडम्बारों, रूढीवादिता, देखा-देखी परंपरा के अनुसरण व वैज्ञानिक शिक्षा की कमी को दुर करने व समाज में एक दुसरे से बेहतर व मधुर संवाद कायम करने के पावन उदेश्य से दिनांक 3 जुलाई 2016 को बिश्‍नोई मंदिर, श्रीगंगानगर में मंच की पहली सबदवाणी संगोष्ठी सफल्‍तापुर्वक आयोजित कर इसकी नींव रखी गयी। जिसमें श्रद्धेय संत श्री भागीरथदास जी आर्चाय जैसला, जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के साहित्यकार डॉ0 कृष्णंलाल जी देहड़ु, श्री सुभाष जी कड़वासरा जिलाध्यक्ष महासभा, श्री विनोद जम्‍भदास, श्री रामकुमार सहारण, श्री संजय सहारण, श्री रामकिशन खीचड़, श्री अनिरूद्ध मंडा, श्री पुनम सावंक, श्री राकेश जांगु सहित बिश्‍नोई समाज ने भाग लिया था। उस शुभदिवस के पश्चात मंच द्धारा प्रत्येक रविवार को अनवरत रूप से गांवों व ढाणियों में यह आयोजित की जा रही है।

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