मुक्ति दुर्लभ नहीं है उसकी प्यास दुर्लभ है: राजेंद्रानंद

हरियाणा बिश्नोई समाचार फतेहबाद बिश्नोई धर्म के 531वें स्थापना दिवस के अवसर पर गुरु जांभेश्वर मंदिर मे आयोजित विराट जांभाणी हरिकथा के चौथे दिन स्वामी राजेंद्रानंद महाराज ने जीवन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुक्ति दुर्लभ नहीं है मुक्ति की प्यास दुर्लभ है। जरूरतमंद की सहायता करके मुक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। कथा सुने बिना मानव जीवन अधूरा है। हम जब तक सत्संग नहीं सुनेंगे,जब तक संत के सानिध्य में नहीं जाएंगे। परमात्मा को पाने के लिए संत का सहारा अवश्य लेना पड़ेगा। उन्होंने फरमाया कि आज मनुष्य के पास समय नहीं है।
समय के अभाव के कारण वो भगवान को ही भूल गया है। हमारे आस पास हर दिन सत्संग होता है। हम वहां से गुजरते भी है। लेकिन उसमें जाते कभी नहीं। इसलिए भगवान को पाना है तो सत्संग का सहारा अवश्य लेना पड़ेगा। सत्संग के माध्यम से ही उसे पता चलेगा कि भगवान को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। परम पिता परमात्मा से बंदगी कर बंदे इस मानव चोले को गंदगी में डालें। वेदव्यास ने 18 पुराणों का सार परोपकार को ही बताया है। दूसरों के हित परोपकार से बड़ी कोई सेवा नहीं। सत्संग महापुरुषों की संगत से जीवन में सजनता आती है।

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