"जन्म परिचय"
राजस्थान बिश्नोई समाचार नेटवर्क पाली शौर्य चक्र अमर शहीद गंगाराम जी ईशरवाल के पिताजी का नाम श्री फूसाराम जी बिश्नोई के घर गांव चेराई (ईशरवालो की ढाणी) हुआ ।
"एक कहानी शहीद गंगाराम जी बिश्नोई की"
सन् 2000 की बात है ! जब बरसात का मौसम था, लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे। ठीक मेरे घर से 9 किमी की दुरी पर फुसाराम जी ईशरवाल का परिवार भी अपने खेत में काम कर रहा था । काम करने वाले व्यक्तियो में एक वन्य जीवो का रक्षक महान सिपाही शहीद गंगाराम बिश्नोई भी था । उनके खेत के पास ही कुछ शिकार परवर्ती के लोगों का भी घर है। सायं 5-6 बजे का वक्त था लोग अपने अपने घरों की तरफ जा रहे थे इतने में रेत के टिलो के बीच से गोली की आवाज़ सुनाई पङी ये आवाज़ सुनते ही गगाराम जी के जहन में एक ही बात आई कि निश्चित ही किसी शिकारी ने आज बेजुबान वन्य प्राणी पर वार किया है। गंगाराम भाई व धर्मपत्नी को खेत में ही छोङकर उस बन्दुक की गोली की आवाज़ की तरफ भाग पङे, थोङी दुरी पर एक शिकारी हिरण को लेकर भाग रहा था । बस गंगाराम ने वही से उसका पिछा शुरू किया। पेपाराम भील नामक शिकारी 3 किमी तक भागा लेकिन श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान का शिष्य कहा थकने वाला था उसने भी हार नहीं मानी और शिकारी के पास पहुंच गया। शिकारी ने हिरण को वही गिरा दिया और गंगाराम को ललकारा की हिम्मत है तो आगे बढ । वो वीर उस कायर की आवाज़ से कैसे घबराता, चल पङा गोली को सीने से लगाने के लिए ।उस शिकारी ने गंगाराम पर गोली चला दी और हिरण के साथ प्रकृति का पुजारी वहीं शहीद हो गया। देखते ही देखते लाखों लोग उस वीर के जयकारे लगाने के लिए एकत्रित हो गये। चेराई गाँव के बीचों बीच हिरण के साथ शहीद को समाधि दी गई , सरकार द्वारा मरणोपरांत शोरय चक्र से सम्मानित किया गया शायद भारत का प्रथम व्यक्ति है जिसे वन्य जीवो की रक्षा के लिए शहीद होने पर यह सम्मान मिला हो । शहीद का ये जज्बा देखकर सीना गर्व से प्रफुल्लित हो उठता है की कितना महान सिपाही था जो हिरणों के लिए मौत से भी नहीं डरा ।आज हमारी लाचारी व बेरूखी के कारण लाखों हिरण कुत्तों व शिकारियों का शिकार हो रहे है जिस कारण वे विलुप्त होने के कगार पर है। हम उसे बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है। शायद वर्तमान हिरणों की दुरदशा देखकर उन शहीदों की आत्मा भी रोती होगी की हमारे बलि भी लोगों की प्रेरणा नहीं बन पायी जिस कारण वन्य जीवो कि ये दशा हो रही होगी , नहीं तो लोग हमसे शिक्षा लेकर भी हिरणों की रक्षा के प्रति इतने बेरूखे कैसे? हम उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी अर्पित कर सकेंगे, जब जमीनी हकीकत पर हिरणों को बचा सकेंगे।हिरण लुप्त होते जाये और हम सिर्फ फुल चढाते चले तो शहीद भी सच्ची श्रृद्धांजलि नहीं मानेंगे । आओं चेराई जोधपुर के महान योद्धा गंगाराम बिश्नोई को उनकी पुण्यतिथि पर वन्य जीवो कि रक्षा के लिए कुछ ठोस प्रण लेकर सच्चीन श्रृद्धांजलि अर्पित करें ।।
"स्मृति शेष'
ज्ञात रहे कि आज से ठीक 14 वर्ष पूर्व 12 अगस्त 2000 को चेराई ओसियां निवासी गंगाराम ईश्रवाल ने हिरण रक्षार्थ अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
शहीद की वीरता के लिए भगवान ईन्द्र भी उस दिन खुब रोये थे और अमृत वर्षा कर उस वीर का स्वर्ग लोक मेँ स्वागत किया था। एक शिकारी से हिरण को बचाने के लिए 3 किमी तक पिछा करते हुऐ हिरण के साथ साथ आप स्वयं भी उस पापी की गोली का शिकार हो गऐ।
जब शहीद गंगाराम ईश्रवाल की पार्थिव देह अस्पताल से घर ले जाई गई उस समय सारा वातावरण शहीद गंगाराम बिश्नोई अमर रहे..... जब तक सुरज चांद रहेगा, गंगाराम तेरा नाम रहेगां..... हिरण के हत्यारों कों फांसी दो...... तथा श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान की जयघोश से सारा वातावरण गुंजायमान हो गया।
समस्त बिश्नोई समाज व् पर्यावरण प्रेमी इस वीर सपूत की शाहदत को सलाम करते हुए शत शत नमन करता हैं।
" शहीदों की चिताओं पर लगेंगे, हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही निषां होगा।"
शहीद गंगाराम विश्नोई मेला 12 अगस्त को!
विदीत रहे श्री गंगाराम 12 अगस्त 2000 को वन्य जीव हिरण की रक्षार्थ शिकारियो कि मुठभेेड. मे शहीद हो गये थेl
श्री गंगाराम विश्नोई को मरणोपंरात रक्षा मत्रांलय भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र से ,राष्ट्रीय व राज्य स्तर के अमृता देवी पर्यावरण पुरस्कार, प्राणी मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया
एक टिप्पणी भेजें