राजस्थान बिश्नोई समाचार मांगीलाल जाणी सांचौर निकटवर्ती सरनाऊ ग्राम में स्थित जम्भेश्वर मंदिर में चल रही जाम्भाणी हरिकथा के छठे दिन आचार्य संत डॉ. गोधर्वनराम शिक्षा शास्त्री ने गुरू जम्भेश्वर भगवान एवं कृष्ण भगवान के जन्म दिन को लेकर जीवनी पर प्रकाश डालते हुए समाज के लोगो को उनके बताये नियमों पर चलने की बात कही। वहीं जम्भेश्वर भगवान को जन्म राजस्थान के नागौर जिले के पीपासर ग्राम में 1421 सन में हुआ था। जाम्भोजी ने अपने जन्म के बाद अपनी मां का दूध भी नहीं पिया था, एवं 7 साल तक कुछ बोल नहीं पाये थे। वहीं जाम्भोजी ने अपना पहला शब्द गुरू चिंहो गुरू चिन्ह पुरोहित बोलकर अपनी मूकता तोड़ी थी। वहीं उन्होनें बताया जाम्भोजी ने सादा जीवन एवं प्रभावशाली थे साथ ही अकेला रहना पसंद करते थे। वहीं जाम्भोजी ने 34 वर्ष की उम्र में समराथल धोरा पर जाकर उपदेश देने शुरू किये थे, वहीं समाज कल्याण को लेक अच्छी सोच रखते थे एवं वहां के लोगो की मदद किया करते थे।

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