राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर. घोड़ा फार्म हाउस व भवाद शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा बरी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता कांतिलाल ठाकुर ने शुक्रवार को राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। जिसमें बताया गया कि मुख्य चश्मदीद हरीश दुलानी के बयानों को कोर्ट ने कंसीडर ही नहीं किया। जबकि उसी के बयानों पर सारे एविडेंस मिले थे।
पांचों याचिकाओं में दिए फैसलों में सरकार की दलीलों पर हाईकोर्ट ने कोई ध्यान नहीं दिया, जबकि सलमान की दलीलों पर गौर किया गया। रिपोर्ट में पांचों याचिकाओं में हाईकोर्ट के फैसलों को चुनौती की सिफारिश की गई है। सलमान खान को निचली अदालत से भवाद शिकार मामले में एक साल तथा घोड़ा फार्म हाउस शिकार मामले में पांच साल की सजा दी गई थी। इस पर हाईकोर्ट में अपील व निगरानी याचिकाओं दायर की गई। जिस पर गत 25 जुलाई को हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोनों ही मामले में सलमान को सभी आरोपों से बरी कर दिया था और सरकार की याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
विधि को भेजी घोड़ा फार्म हाउस की 47 व भवाद मामले की 31 पेज की रिपोर्ट
एएजी ठाकुर व उनके सहयोगी अधिवक्ता ऋषभ तायल ने दोनों ही मामलों में अलग-अलग रिपोर्ट विधि विभाग को भेजी है। घोड़ा फार्म हाउस शिकार मामले में 47 पेज की तथा भवाद शिकार मामले में 31 पेज की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भिजवाई गई है। ठाकुर ने बताया कि उन्होंने राय भेज दी है। अब सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करना या नहीं करने का निर्णय सरकार के क्षेत्राधिकार में है।
सलमान की ही सुनी, सरकार की दलीलों पर ध्यान ही नहीं दिया: एएजी
- लिंक एविडेंस फिर भी गौर नहीं: दुलानी की गवाही के आधार पर लिंक एविडेंस थे, मसलन सलमान के कमरे से हथियार बरामद होना, हिरण के बाल, ब्लड व छर्रे मिलना आदि। सभी एविडेंस लिंक कर रहे थे, लेकिन कोर्ट ने इन्हें नहीं माना।
- दुलानी का बयान कंसीडर नहीं: दुलानी के बयान साक्ष्य अधिनियम की धारा 33 के तहत लिए गए थे। इनके आधार पर सारे एविडेंस मिले, लेकिन बयानों को ही कंसीडर नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट में यह तथ्य भी कंसीडर किया जा सकता है।
- अभियोजन पक्ष दलील पर ध्यान नहीं: अभियोजन की दलीलों पर ध्यान नहीं देकर सलमान की दलीलों को कंसीडर किया।
- दो अधीनस्थ अदालतों ने दी थी सजा: एसीजेएम व सेशन कोर्ट ने फैसले को उचित बताते हुए सजा काे बरकरार रखी गई। लेकिन हाईकोर्ट ने इन दोनों कोर्ट के फैसलों को पलट दिया।
- अलग-अलग जजमेंट आने चाहिए थे: दोनों मामलों में पांच याचिकाएं थी। इनमें केवल 2 कॉमन जजमेंट दिया गया, जबकि पांचों में अलग-अलग जजमेंट आने चाहिए थे।
- दुलानी का बयान कंसीडर नहीं: दुलानी के बयान साक्ष्य अधिनियम की धारा 33 के तहत लिए गए थे। इनके आधार पर सारे एविडेंस मिले, लेकिन बयानों को ही कंसीडर नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट में यह तथ्य भी कंसीडर किया जा सकता है।
- अभियोजन पक्ष दलील पर ध्यान नहीं: अभियोजन की दलीलों पर ध्यान नहीं देकर सलमान की दलीलों को कंसीडर किया।
- दो अधीनस्थ अदालतों ने दी थी सजा: एसीजेएम व सेशन कोर्ट ने फैसले को उचित बताते हुए सजा काे बरकरार रखी गई। लेकिन हाईकोर्ट ने इन दोनों कोर्ट के फैसलों को पलट दिया।
- अलग-अलग जजमेंट आने चाहिए थे: दोनों मामलों में पांच याचिकाएं थी। इनमें केवल 2 कॉमन जजमेंट दिया गया, जबकि पांचों में अलग-अलग जजमेंट आने चाहिए थे।
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