राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर पारिस्थितिकी संतुलन और मानव जीवन में पर्यावरण से जुड़ी मारवाड़ की 30 हजार हैक्टेयर वन भूमि की सुनवाई दशकों से नहीं हो पा रही है। वन विभाग के संभाग मुख्यालय में दो साल से वन बंदोबस्त अधिकारी, निरीक्षक, सर्वेयर और पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से आम जनता के हक हकूक की सुनवाई तक ठप पड़ी है।
जोधपुर संभाग के जैसलमेर, बाड़मेर, सिरोही, जालौर, पाली तथा जोधपुर की बेशकीमती वन भूमि के सीमा ज्ञान सर्वे के लिए वन बंदोबस्त अधिकारी का पूरा काम शेरगढ़ के एक रेंजर के भरोसे संचालित हो रहा है। एेसे में वनखंड की अंतिम अधिसूचना का कार्य करीब एक दशक से रुका पड़ा है। जोधपुर संभाग में वर्ष 2004 से अभी तक किसी भी वन खंड की अंतिम अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है, जबकि जोधपुर संभाग (मारवाड़ ) में करीब 30 हजार हेक्टेयर रक्षित एवं वर्गीकरण भूमि के मामले लंबित पड़े हैं।
इसीलिए बढ़ रहे है अतिक्रमण
वनविभाग के नियंत्रण अधीन वन क्षेत्रों का राजस्व अभिलेखों में वन विभाग के नाम अमलदरामद किया जाता है। वन भूमि को वन राजस्थान वन अधिनियम के अन्तर्गत आरक्षित अथवा रक्षित वन घोषित करना और वन सीमाओं पर मीनारें बनाकर क्षेत्रों का सीमांकन करने की प्रक्रिया ही वन बंदोबस्त कहलाती है। पूरे संभाग में लंबे अर्से से वनबंदोबस्त की सुनवाई नहीं होने के कारण आम जनता परेशान है। अंतिम गजट नोटिफिकेशन नहीं होने से विभाग वनभूमि में मीनारें नहीं बना पा रहा और इसके कारण सीमा ज्ञान नहीं होने से हजारों की संख्या में अतिक्रमण हो रहे हैं।
प्रदेश में वन भूमि की स्थिति
प्रदेश में धारा 20 एवं 29 (1) के तहत 2016 में अंतिम रूप से अधिसूचित वन क्षेत्र 26563.797 वर्ग किमी है। पूरे प्रदेश में वर्तमान में अमलदरामद से शेष वन भूमि 4934.53 वर्ग किमी है। जबकि कुल वनक्षेत्र 32 हजार 828.35 वर्ग किमी है। वन क्षेत्रों का राजस्व लेखों में अमलदरामद भी बन बंदोबस्त प्रक्रिया का अंग है। जोधपुर में कुल वन क्षेत्र-23664.51 हेक्टेयर में से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज वन क्षेत्र-10637.79 है जबकि राजस्व रिकॉर्ड में वन विभाग के नाम से वंचित-13737. 34 हेक्टेयर भूमि है।
एक टिप्पणी भेजें