शिकारी से भिड़ गईं, घायल हुईं पर हिरण नहीं छोड़ा सायरी बिश्नोई

राजस्थान बिश्नोई समाचार जोधपुर जिले के फलौदी तहसील के नया बेरा गांव के सरनाडा में एक शिकारी ने कुड़क से हिरण के शिकार का प्रयास किया। हिरण लेकर भागते शिकारी से सायरी देवी विश्नोई भिड़ गई और अपनी जान जोखिम में डाल घायल हिरण को बचा लिया। इस दौरान शिकारी ने उसे कुड़क से घायल कर दिया। फिर वन विभाग और अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्नोई सभा को सूचना दी।
 
वन विभाग व पुलिस के अफसर मौके पर पहुंचे और घायल हिरण को रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया। वहां उपचार के बाद हिरण के स्वास्थ्य में सुधार है। वन विभाग ने नया बेरा निवासी शैतानसिंह उर्फ सत्तुसिंह पुत्र कौशलसिंह के खिलाफ शिकार के प्रयास का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

रेंजर जेठमालसिंह ने बताया कि जल्दी ही शिकारी को गिरफ्तार करेंगे। उधर, अखिल भारतीय विश्नोई जीव रक्षा सभा ने शिकारी की गिरफ्तारी नहीं होने पर 30 जुलाई से आंदोलन की चेतावनी दी है। शिकार की सूचना पर लोहावट, देणोक, मूंजासर, फलौदी, पड़ियाल आदि क्षेत्रों से सैकड़ों लोग मौके पर आ जुटे। ग्रामीणों ने क्षेत्र में शिकार की बढ़ती घटनाओं पर रोष जताया और वन विभाग की गश्त बढ़ाने की मांग की। 
 
 
जो हिरण मेरी नजरों के सामने बड़ा हुआ उसकी हत्या कैसे होने दे देती
 
 
मैं घर के आगे पशुओं को चारा डाल रही थी। उसी दौरान हिरण की चीख सुनाई दी। एकबारगी समझ नहीं आया कि बछड़े की आवाज है या किसी और जानवर की। इतने में हिरण फिर चिल्लाया। मैंने दौड़कर देखा तो खेत के एक कोने में हिरण तड़प रहा था और शिकारी शैतानसिंह उसे मारकर ले जाने की फिराक में था। मैंने दूर से ही शिकारी को आवाज लगाई।
 
शिकारी हिरण को लेकर जाता उससे पहले मैं पहुंच गई और उससे कहा हिरण को छोड़ दो। लेकिन शिकारी ने कहा कि तूं क्या कर लेगी, इस पर मैंने कहा कि कुछ भी हो जाए मैं हिरण को नहीं ले जाने दूंगी। इतने में शिकारी हिरण का गला दबाने लगा। मैंने शिकारी को धक्का देकर हिरण काे छुड़ा लिया। हिरण का पैर कुड़क में फंसा था, इसलिए वह लगातार चीख रहा था। बड़ी मुश्किल से कुड़क से पैर निकाला तो शैतानसिंह ने कुड़क छीनने का प्रयास किया और कुड़क से मेरे ऊपर हमला कर दिया। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।
 
उसे कहा, मर जाऊंगी पर हिरण को नहीं ले जाने दूंगी। शिकारी ने फिर कहा कि तूं अबला है क्या करेगी, तब मैंने कहा कि अमृता देवी भी नारी ही थी, जिनके नेतृत्व में खेजड़ली में 363 लोगों ने पेड़ों को बचाने में अपना बलिदान दे दिया था और यह हिरण तो मेरे खेत में चर-फिर बड़ा हुआ है। इसकी हत्या मेरी नजरों के सामने कैसे होने दूंगी। -जैसा सायरी देवी विश्नोई ने भास्कर  रिपोर्टर को बताया। बिश्नोई समाचार नेटवर्क 
 

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