हिसार बिश्नोई समाचार अाज के दौर में जहां लोग विकट परिस्थितियों का सामना करने के बजाय मायूस हो जाते हैं और थककर जीवन से हार मान लेते हैं। वहीं कुछ लाेग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदादिली और जोश के बल पर बड़ी से बड़ी मुसीबतों पर पार पा लिया है। ऐसे ही है आईजी रेंज कार्यालय में कार्यरत एएसआई अनिल भांभू, जिनको साल 2012 में ही ब्लड कैंसर हो गया। कैंसर की बीमारी हाेने की सूचना मिलने के बाद भी वो घबराए नहीं और तो नौकरी छोड़ी और मायूस हुए। बल्कि जिंदगी को एक नया आयाम दिया और समाज के लिए कुछ अच्छा काम करने की सोची। महज सोच ही नहीं बल्कि उन्होंने कई बार एेसे काम किए, जिससे मुसीबत में फंसे लोग बाहर निकल सके। भांभू ने कहा जिंदगी कब खत्म होगी यह बाद की बात है, लेकिन जब तक हम जिंदा है तो हमें ऊर्जावान बने रहना चाहिए। इसके साथ ही समाजहित के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा वो कोई भी काम करने के लिए व्हाटस एप ग्रुप के माध्यम से संदेश भेजते हैं और लोग उनका दिल से साथ देते हैं। इसलिए काम ऐसा करना चाहिए ताकि जब भी आपका नाम लिया जाए तो सम्मान के साथ लिया जाए।
जहरपीड़ित परिवार के लिए जुटाए 3 लाख रुपये
भाणागांव में जहर के प्रभाव से एक ही परिवार के 17 लोग बीमार हो गए थे। उनमें से दादा रिछपाल और पोते मोहित की मौत हो गई थी। गरीब परिवार होने के कारण उपचाराधीन मरीज इलाज करवाने में समर्थ नहीं थे, क्योंकि इलाज के लिए रोजाना का खर्च लगभग 80 हजार रुपये था। ऐसे में स्थिति को भांपते हुए और मानवता का परिचय देते हुए बिश्नोई समाज के लोगों की मदद से अनिल भांभू ने पीड़ित परिवार के लिए एक नई मुहिम शुरू की जिसमें सभी को पैसे इकट्ठे करने के लिए कहा गया। इससे तीन लाख रुपये एकत्रित हुए, जिसे अस्पताल से मरीजों को छुट्टी दिलवाने के दौरान दो निजी अस्पतालों में भुगतान किया गया। बाकी बचे लोगों का बिल भी चुका दी जाएगी। वहीं बचे हुए रुपये परिवार को दिए जाएंगे।
रक्तदानसे दे रहे लोगों को जीवनदान
मंगालीगांव के अनिल भांभू ने गांव में आजाद हिंद युवा क्लब भी बनाया हुआ है। कई साल से वो क्लब के माध्यम से सामाजिक काम करते रहे हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं रक्तदान। आज के समय में जहां रक्त मिलना बहुत ही मुश्किल है इस समय में भी युवा क्लब के सदस्य रक्तदान शिविर के माध्यम से रक्त की यूनिट एकत्रित करके लोगों को जीवनदान देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा दिक्कत में फंसे हुए किसी भी व्यक्ति की मदद करके देखिए, जो सुकून रूह को मिलता है, वो चारों धाम की यात्रा करने से भी ज्यादा है।
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