गुरु जम्भेश्वर के जयकारों से गूंज उठा लोधीपुर

जेएनएन, अगवानपुर : चैत्र अमावस्या पर लोधीपुर धाम पर लगने वाले मेले में गुरुवार सुबह 6 बजे महायज्ञ का आयोजन किया गया। महायज्ञ, हरिद्वार से आए स्वामी प्रणवानन्द जी ने कराया। उसके बाद विश्नोई मंदिर पर भक्तों ने ज्योति दीप एवं चरण चिन्ह के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाया। मेले में उत्तर प्रदेश दिल्ली पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड से विश्नोई समाज लोग यहां पहुंचे। इस दौरान स्वामी चमन ऋषि मुकाम राजस्थान, स्वामी श्रवण दास राजस्थान, कर्मवीर सिंह अध्यक्ष विश्नोई सभा हरिद्वार, वक्ता राम जी बीकानेर राजस्थान, मोहन राम जी राजस्थान, अंचल कुमार बरेली आदि विश्नोई समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन संजय विश्नोई ने किया। इस दौरान लोधीपुर मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. हर किशन विश्नोई, प्रवेंद्र विश्नोई, सरजू विश्नोई, सुखवीर सिंह, शिव प्रकाश विश्नोई, वीरेंद्र सिंह, जय कुमार विश्नोई, अजय कुमार विश्नोई आदि ने मेले की व्यवस्था संभाली।

18 दिन लोधीपुर गांव में रुके थे गुरु जम्भेश्वर

समाज के लोगों ने बताया कि पांच सौ साल पहले लोधीपुर गांव निवासी सुरजा देवी गुरु जम्भेश्वर भगवान की शिष्या थीं। उनके दर्शन को वे राजस्थान जाती थीं। जब वे वृद्ध हो गई तो उनसे मिलने के लिए गुरु जम्भेश्वर स्वयं लोधीपुर आए थे। वे 18 दिन अपनी शिष्या के पास रहे थे। चैत्र अमावस्या के दिन ही वे लोधीपुर से गए थे। जाते समय सुरजा देवी ने अपनी निशानी छोड़ने की बात कही थी। तब उन्होंने अपने हाथ का सोटा जमीन में गाड़ दिया था और पत्थर पर अपने पद चिन्ह छोड़ दिए थे। कुछ दिनों बाद जमीन में गड़ा सोटा हरा भरा हो गया। इसी पर भक्त अपनी मनोकामना की गांठ बांधते हैं। तभी से यहां हवन पूजन शुरू हो गया और विश्नोई समाज हर वर्ष इसे ऐतिहासिक तरीके से मनाता है।

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