बाङमेर बिश्नोई समाचार पर्यावरण एवं वन्यजीवों के की रक्षा के लिए सराहनीय कदम धोरीमन्ना पर्यावरण एवं वन्यजीवों के लिए निराशा भरे इस माहौल में मरु प्रदेश की बिश्नोई जाति ने लगातार आशा की किरण जरूर जला रखी है। राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा एक तरफ तो अपनी खूबसूरती के कारण आभिजात्य लोगों की रुचि और तस्करों के निशाने पर है तो दूसरी तरफ इसे सरकार की बेरुखी का भी सामना करना पड़ रहा है। एक बिश्नोई जाति हैं जो इनकी रक्षा के लिए प्राण गवाने से भी नहीं डरते और हर समय इनकी रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। धोरीमन्ना क्षेत्र मीठड़ा खुर्द गाँव के रहने वाले भंवरलाल भादू जो हमेशा वन्यजीव की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। क्षेत्र के जंगली कुत्तों का आतंक हैं यहाँ पर हर रोज किसी न किसी चिंकारे पर यह आवारे कुत्ते हमला कर देते हैं। वन्यजीवों की रक्षा के लिए तत्पर रहने वाले भंवरलाल आज तक तकरीबन दो दर्जन चिंकारों को जंगली कुत्तों के चगुल से छुड़ाते चुके हैं और घायल हिरणों को धोरीमन्ना के रेस्क्यू सेण्टर इलाज कराया हैं । गत दिनों निकटवर्ती मानसिंह की बेरी के पास कुछ शिकारी चिंकारे के मासूम बच्चे को पकड़कर कर भाग गए थे। इन्होंने पीछाकर मीठड़ा की सरहद में शिकारियों के चगुल से मासूम को जिन्दा मुक्त करवाया। यही नहीं इस दयाभावी वन्यजीव प्रेमी ने कई दफा घायल हिरणों को वन्यजीव रक्षा राणासर कल्ला व अमृतादेवी उद्यान धमाणा सांचौर भी पहुँचाया हैं। आज भी वे हमेशा पर्यावरण एवं वन्यजीव की रक्षा के लिए क्षेत्र में मिसाल बने हुए हैं। गत महीने पहले धोरीमन्ना के रेस्क्यू सेण्टर में उपचार के अभाव में एक ही दिन में दो घायल चिंकारों ने दम तोड़ दिया था। जिसको लेकर बिश्नोई समाज ने रोष प्रकट करते हुए विरोध प्रदर्शन किया एवं धरना दिया। जिसमें इनका विशेष सहयोग रहा था। उसके बाद काफी हद तक रेस्क्यू सेण्टर के अधिकारी कर्मचारी सकते में भी आये हैं । इन्होंने वन्यजीवों के साथ साथ हरे भरे पेड़ पौधों की कटाई के विरोध में कई बार मुद्दा उठाया हैं। मीठड़ा के गोचर भूमि पर लगे पेड़ों की कटाई रुकवाने में अपनी सक्रियता दिखाई , जिसकी बदौलत हर भरे पेड़ कटने से बचे और यही पेड़ आज प्रकृति की शोभा बढ़ा रहे हैं।
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