वन्यजीव प्यासे तो कौन पी रहा इनके हक का पानी ?
बाङमेर बिश्नोई समाचार श्वण बिश्नोई फूलण सरकार वन्यजीवों व पर्यावरण कि रक्षा के लिए जो वादे किये जा रहें वो खोखले साबित होते नजर आ रहें हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने वन्यजीवों व पर्यावरण के लिए 138 करोड़ रूपये का बजट पारित होने के बावजूद वन्यजीव प्यासे भटक रहे हैं।
सिवाना उपखंड क्षेत्र के सिलोर, लालाणा, फूलण, सावरड़ा, सेवाणी, खण्डप सहित भाखरड़ा बेल्ड में चिंकारों पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी के दस्तक के साथ तपती धरती ने जहां आम जन को बेहाल कर दिया है, वहीं जंगलों में निवास करने वाले चिंकारे भी इसकी जद में आ गये हैं। चिंकारों को पानी कि तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। बावजूद इसके उनकी प्यास नहीं बुझ पा रही है। प्रकृति की लगातार अनदेखी भी इन चिंकारों पर भारी पड़ रही है। जंगलों में स्थिति जल स्त्रोत का कहीं भी अता-पता नहीं है। ऐसी स्थिति में चिंकारों को पानी मिल पाना मुश्किल हो गया हैं। वन विभाग व सरकार के द्वारा इनके पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं कि जा रही है, इसलिए चिंकारों को पानी कि तलाश में मीलों भटकना पड़ रहा है, लेकिन वन विभाग अधिकारियों को इनकी परवाह नहीं है।
राज्य पशु चिंकारों कि हालत नाजूक------
सिवाना उपखंड में राज्य पशु चिंकारों के संरक्षण के लिए सरकार व वन विभाग सुस्त नजर आ रही है। चिंकारों के लिए उपखंड क्षेत्र में ना ही पिने के पानी कि व्यवस्था है ना कोई रक्युसेंटर। दिन प्रति दिन चिंकारों कि संख्या घटती जा रहीं हैं, लेकिन वन विभाग अधिकारी सुस्त नजर आ रहा है।
सरकार उचित कदम उठाये-----------
उपखंड क्षेत्र में चिंकारों कि स्थिति चिंताजनक बनी हूई है। गर्मी के दस्तक के साथ पानी का संकट से चिंकारे भटक रहे हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देकर पानी कि व्यवस्था के साथ चिंकारों को बचाने में उचित कदम उठाना चाहिए।
भीखाराम फूलण
ब्लाँक अध्यक्ष
बिश्नोई टाईगर्स वन्य जीव एवं पर्यावरण संस्था
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