पर्यावरण बचाओ जीवन बचाओ
सिर सांटे रूंख रहे तो सस्तो जाण
मुंबई बिश्नोई समाचार प्रकाशचंद बिश्नोई विलेपार्ल हिन्दु नव वर्ष (गुड़ी पड़वा) की पूर्व संध्या पर एक विशाल माहरैली का आयोजन भारत विकाश परिषद द्वारा किया जा रहा है। इस रैली में 2000 लोगो का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसमे राष्ट्र भक्त, देश प्रेमी, हिन्दू संस्कर्ति सप्रदाय के बड़ी बड़ी संस्थाए स्वामीनारायण सम्प्रदाय,पंतजलि योग, पंथमेड़ा गोशाला, विश्र्व हिन्दू परिषद, शिवाजी महाराज चित्र रथ, अश्वरूप महाराणा प्रताप सेना सहित, झांसी की रानी,सौराष्ट्र पैदल ग्रुप,गायत्री परिवार, अमृता देवी पर्यावरण बचाओ, ईराजस्थान सेवासंघ, मेवाड़ महिला मण्डल,भारत माता रथ, जैन महिला मंडल, ब्राह्मण स्वर्णकार मण्डल, विलेपार्ला व्यपारी मण्डल सहित ऐसी सो संस्थाओं के साथ बिश्नोई समाज महाराष्ट्र मायानगरी मुंबई में पेट्रोल और डीजल चलित वाहनों से हो रहे वातावरण दूषित और उससे स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर शुक्रवार 8 अप्रैल को रैली का आयोजन साईं बाबा मंदिर से किया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए आयोजक राजेश बिश्नोई (पूनिया) बताया कि यह रैली शाम को 3 बजे से साईं बाबा मंदिर श्रद्धानन्द रोड विलेपार्ले ईस्ट से शुरू होकर प्ले ग्राउंड तक पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि रैली में लगभग साढ़े तीन सौ बिश्नोई समाज के पर्यावरण प्रेम भाग लेंगे।
बिश्नोई युवा संघठन के अध्यक्ष किशोर साहू ने बताया कि मुंबई कम दूरियों का शहर है। इस शहर में कई ऐसे गंतव्य है कि जहां आसानी से स्वास्थ्यवर्धक तरीके से पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। महाराष्ट्रा में बिश्नोई समाज की दिग्गज सस्थाओं से जुड़कर पर्यावरण प्रेम के आधारित पर पर्यावरण प्रेमियों द्वारा रैली का आयोजन कर प्रत्येक समाज में एक सकारात्मक संदेश जन-जन तक रैली के माध्यम से पहुंचाएंगे। इससे स्वास्थ्य तो बनेगा ही साथ ही समय व पैसे की बचत होगी। वाहनो से दूषित हो रहे प्रदूषण पर भी रोक लगेंगी। हम सबको इसका पेड़ों को बचाकर कर अपनी स्वास्थ्य रक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए। ताकि मधुमेह और अनियमित दिनचर्या से होने वाली घातक और असाध्य बीमारियों से बच सकें। इससे स्वास्थ्य रक्षा तो होगी ही पर्यावरण रक्षा धन एवं समय की बचत होगी।
पर्यावरण प्रेम पर राजस्थान के दो जोधाओं की दीवानगी।
जुनून जब हद को पार कर जाए तो वह पागलपन में बदल जाता है। राजस्थान के जोधपुर जिले में एकलखोरी गांव के दो ऐसा ही दीवाने हैं, जिसे पर्यावरण से कुछ इस तरह का प्यार है कि वह उसकी खातिर अपने घर की परवाह नहीं करते है। जोधपुर के सचिव व पश्चिमी राजस्थान के प्रख्यात पर्यावरण प्रेमी खमुराम बिश्नोई कई वर्षों से धार्मिक व पशु मेलों, स्कूल व कॉलेजों में पॉलिथीन और प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल के लिए अभियान चलाए हुए हैं। खमुराम बिश्नोई अपनी टीम के साथ नुक्कड़ नाटक, लाउडस्पीकर ,पर्चे बांटकर प्रकृति और पर्यावरण को बचाने का ये संदेश पहुंचाते हैं। यह शादियों के मौके पर नवविवाहित जोड़े से वृक्षारोपण का वादा लेते हैं। खमुराम बिश्नोई कई देश ओर विदेशो में जाकर पर्यावरण प्रेम का रंग घोल चुके हैं, वो जहां जाते वहां पर्यावरण प्रेमी अपना लेते हैं। अब वे मायानगरी मुंबई में पर्यावरण को बचाने के संदेश दे रहे हैं पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ लिए खमुराम लोकप्रीता करीब 50 फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी फ्रांस, स्विट्जरलैंड सहित कई देशों में प्रदर्शित की जा चुकी है। पर्यावरण प्रेमी खमुराम विश्नोई ने बताया कि फ्रैंक वॉगेल ने बिश्नोई समाज के धर्मगुरुओं व ऐतिहासिक स्थलों सहित विश्नोई बाहुल्य क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्यजीवों, हरियाली को बढ़ावा देने व समर्पण की भावना रखने वाले प्रकृति प्रेमियों आदि को चित्रों के माध्यम से दर्शाया है।
नहीं मना पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रागाँधी के राजनीति मे आने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
पर्यावरण प्रेमी राणाराम बिश्नोई जिन्होने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रागाँधी के राजनीति मे आने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था I जिसके लिए सोना भी पत्थर है आपको यह बात सुनने मे अजीब और आश्चर्य लग रही हो लेकिन यह सत्य है धन दोलत शान-शोहरत को छोड़कर बस एक ही जुनून है पेड़-पोधो व वन्य जिवो की सेवा जो भगवान मे भी विश्वास नही रखते है जिन्होने कभी जिंदगी मे किसी मंदिर मे प्रसाद तक नही चड़ाई जो जिन्होने कभी देवी देवताओ के सामने हाथ नही जोड़े। जो कभी किस्मत को नही मानते बस श्री गुरु जम्भेश्वेर भगवान (बिश्नोई समाज) को ही अपना गुरु माना उन्ही की शिक्षाओ पर चले I रेगिस्तान मे रेत के टीले जहा पत्थर भी नही टिकते वहा पर लाखो पेड़ लगा चुके हैI महारष्ट्र में जनता को रैली के माध्यम से पर्यावरण बचाओ जीवन बचाओ का सन्देश देंगे।
राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाकों में से एक है राजस्थान का जोधपुर जिले के एकलखोरी गांव के धोरों की रण भूमि में गुजरते वक्त दूर-दूर तक पेड़ नजर नहीं आते थे, मगर अपने बल बुते पर उगलती आग में माथे पर पानी से भरा मटका ओर एक हाथ में फावड़ा के साथ नजर आते थे। क्षेत्र के निकट थार के एकलखोरी गांव के राणाराम बिश्नोई बताते है कि वह 70 के दशक से लेकर अब तक करीब लाखो की संख्या में पौधें लगा चुके है। वह बताते है ' मैंने थार में कुओं व बावड़ियों से पानी लाकर इन पौधों को जिंदा रखा है। एक छोटे-से गांव के धोरों के रण पोधे लगाकर हरयाली की चादर बिछा दी। पर्यावरण के नाम के पर इन दो जोधाओ की अमर कहानी राजस्थान में नहीं देश ओर विदेशों में भी पर्यावरण प्रेम पर प्रचलित हैं।
हरीश गोदारा का कहना की वन एवं वनस्पति जीवन के संरक्षण में किसी संस्था से ज्यादा स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी हो जाती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि वनस्पति के महत्व, विभिन्न प्रजातियों की पहचान और उनके संरक्षण के पहलुओं की जानकारी लोगों तक पहुँचे।
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