बिश्नोई नहीं मनाते होली, भक्त प्रहलाद को होलिका द्वारा दी गई यातनाओं का करते है स्मरण

राजस्थान बिश्नोई समाचार बीकानेर  गुरु जम्भेश्वर के 29 नियमों का पालन करने वाला बिश्नोई समाज होली नहीं मनाता। होलिका दहन के समय भक्त प्रहलाद द्वारा होलिका द्वारा दी गई यातनाओं का स्मरण करता हैं तथा भगवान विष्णु को भजने तथा भक्त प्रहलाद जैसे प्रभु भक्तों की रक्षा की प्रार्थना करता हैं।
कांलेज शिक्षा की सेवानिवृत उप निदेशक डा.सरस्वती बिश्नोई व प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के सेवानिवृत अधिकारी व साहित्यकार डां.कृष्ण लाल बिश्नोई ने बताया कि बिश्नोई होली जलाने भी नहीं जाते ना ही दूसरे दिन रंग व गुलाल से होली खेलते है। घरों में होलिका दहन के दिन पकवान की बजाय साधारण खिचड़ी-खींचड़ा आदि बनाया जाता है । कई स्थानों पर साखियों व भजनों का आयोजन होता है।
धुलंड़ी के दिन घरों व मंदिरों में हवन किया जाता है तथा गुरु जम्भेश्वर की वाणी, साखियों व मंत्रों से नए घड़े में शुद्ध पानी रखकर अभिमंत्रित किया जाता है तथा हवन के बाद जल को सभी में वितरित किया जाएगा। भक्त प्रहलाद के चरित्र का वाचन किया जाता है। जय नारायण व्यास कांलोनी स्थित जंभाणी साहित्य अकादमी भवन में 23 मार्च रात को साखियों व भक्ति संगीत का आयोजन हुआ।
फ्रांस से आई सवीना इटली मूल की फ्रांस प्रवासी सवीना बिश्नोई समाज के साहित्य व परम्पराओं पर शोध करने के लिए कुछ दिनों से बीकानेर में काॅलेज शिक्षा की सेवा निवृत उप निदेशक डां.सरस्वती बिश्नोई के पास रहकर अध्ययन कर रहीं है। रंगकर्मी व रंग लेखक सवीना ने राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से संकल्प नाट्य समिति की ओर से टाउन हाल में आयोजित नाट्य समारोह में भागीदारी निभाई तथा बीकानेर में होने वाले लोक नाट्य रम्मतों को भी बारीकी से देखा तथा इसको बीकानेर का सांस्कृतिक धरोहर बताया। राजस्थानी साहित्य, कला एवं संस्कृति के विद्वान डां. एल.पी.तैस्सीतोरी के इटली स्थित जिले उदीना में जन्मी सवीना ने राजकीय संग्रहालय में एल.पी.तैस्सीतोरी कक्ष, उनका समाधि तथा प्रतिमा का भी अवलोकन किया तथा उनके योगदान को अनुकरणीय बताया।

Post a Comment

और नया पुराने